Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2017 · 1 min read

गुलाबी सर्दियों की दस्तक

????
सुबह की धूप
आज कल अच्छी लगने लगी है।
शाम की हवाएँ
फिर से तन को सिहराने लगी हैं।

गुलाबी सर्दियाँ
फिर से दस्तक देने लगी हैं।
हरी-हरी घास पर
ओस की शफ्फाक बूँदें दिखने लगी हैं।

गुलाबों की महक
फिजाओं में घुलने लगी हैं।
सफेद नारंगी हरसिंगार
हरी-हरी घास पर बिछने लगी हैं।

खेत मे सरसों की
पीले-पीले फूल इठलाने लगी है।
धुंध की चादर ओढ
धरती आकाश गले मिलने लगी है।

भवरों और तितलियाँ
बागों में फूलों पर इतराने लगी है।
पंक्षियों की कलरव
मधुर-मधुर लगने लगी है।

नवीन रूप धरा की
श्वेत सुगंधित लगने लगी है।
मौसम के साथ
उपवन भी नव रूप धरने लगी है।
????—लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
597 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कभी कभी पागल होना भी
कभी कभी पागल होना भी
Vandana maurya
नहीं चाहता मैं यह
नहीं चाहता मैं यह
gurudeenverma198
गुजरे वक्त के सबक से
गुजरे वक्त के सबक से
Dimpal Khari
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
"पुकारता है चले आओ"
Dr. Kishan tandon kranti
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
कहीं ख्वाब रह गया कहीं अरमान रह गया
VINOD CHAUHAN
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*तू भी जनता मैं भी जनता*
*तू भी जनता मैं भी जनता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फर्श पर हम चलते हैं
फर्श पर हम चलते हैं
Neeraj Agarwal
काहे का अभिमान
काहे का अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
छोटी सी बात
छोटी सी बात
Kanchan Khanna
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
पूर्वार्थ
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
“जिंदगी की राह ”
“जिंदगी की राह ”
Yogendra Chaturwedi
छोटा परिवार( घनाक्षरी )
छोटा परिवार( घनाक्षरी )
Ravi Prakash
हे राम !
हे राम !
Ghanshyam Poddar
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
Phool gufran
#महाकाल_लोक
#महाकाल_लोक
*Author प्रणय प्रभात*
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2767. *पूर्णिका*
2767. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी गुज़र न सका जो गुज़र गया मुझमें
कभी गुज़र न सका जो गुज़र गया मुझमें
Shweta Soni
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
surenderpal vaidya
शमशान और मैं l
शमशान और मैं l
सेजल गोस्वामी
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मनुष्य तुम हर बार होगे
मनुष्य तुम हर बार होगे
Harish Chandra Pande
हड़ताल
हड़ताल
नेताम आर सी
छोड़ गया था ना तू, तो अब क्यू आया है
छोड़ गया था ना तू, तो अब क्यू आया है
Kumar lalit
Loading...