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29 Nov 2016 · 1 min read

‘साहित्यपीडिया’ का कहर !

बदस्तूर जारी हैं साहित्यपीडिया का कहर,

इस कदर
की कल तक जो कवितायेँ रद्दी की टोकरी
की शोभा बढ़ाती थी ,
या कुछ अनभिज्ञों द्वारा हंसी की पात्र
हो जाती थी,

अब इन्टरनेट की दुनिया में
लाखों आँखों के सामने
अपनी वाहवाही बटोरती हैं

जो भी इस पर आता हैं
बच्चा नहीं हैं ,
बूढ़ा नहीं हैं ,
जवान नही हैं ,
आदमी नही हैं
औरत नहीं हैं ,
कोई धर्म नही हैं ,
जाति नही हैं,

है तो सिर्फ एक ‘कवि’

जहा सिर्फ प्रेम हैं ,
उत्साह हैं
प्रसिद्धी हैं
सम्मान हैं

लेशमात्र भी नहीं हैं जहा नफरत का जहर
बदस्तूर जारी हैं साहित्यपीडिया का कहर..

– नीरज चौहान

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 783 Views
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