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1 Aug 2016 · 1 min read

सावन

सावन भादो तुम जरा ,बरसो दिल के गाँव
तपन जरा इसकी हरो , बादल की दो छाँव
बादल की दो छाँव,थके गम सहते सहते
सूख गए हैं अश्क,सभी अब बहते बहते
दिल को है विश्वास , खिलेंगे अपने तन मन
खुशियों की बरसात, करेगा जब ये सावन

डॉ अर्चना गुप्ता

3 Comments · 587 Views
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