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10 Apr 2017 · 1 min read

** साथण म्हारी **

क्यूं दाबे है पांव बावळी
तूं तो साथण म्हारी है
लोग देख अचरज करे
भरे बाजारा दाबे पांव
आ कांई लुगाई है
कियां थने आशीष देऊं
बन्ध्या दोनों हाथ है
एक हाथ में डांडी म्हारे
अर एक हाथ में झारी है
मनसूं मैं आशीष देउंला
तूं तो साथण म्हारी है
लाल चुनर अर बोरलो माथे रहसी ऐ
होवे अमर सुहाग आ सै जग कहसी ऐ
क्यूं दाबे है पांव बावळी
तूं तो साथण म्हारी है
म्हाने तो बे छोड़ गया जीवन साथी ऐ
अर आ काठ भाग में आगी पांती ऐ
सदा रहे खुशहाल आ आशीष म्हारी ऐ
हृदय बसे सुहाग ऐ साथण म्हारी ऐ
क्यूं दाबे है पांव बावळी
तूं तो साथण म्हारी है
हियो देवे आशीष साथण म्हारी ऐ ।।
क्यूं दाबे है पांव बावळी
तूं तो साथण म्हारी है ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 215 Views
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