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30 Aug 2017 · 1 min read

सांवलो सलोनो सावन

कविता – – सांवलो सलोनो सावन
विधा-वर्ण पिरामिड


कारे
बदरा
बरसो रे
आयो सावन
उड़े लहरिया
गोरी झूले झूलना।

छा
गये
बादल
काले काले
पी के दरस
को तरस गए
अब नैन हमारे।


गया
मौसम
अब देखो
हरियाली का
नाचे मन मोर
किसी मतवाली का।

–रंजना माथुर दिनांक 27/07/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
@copyright

Language: Hindi
401 Views
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