सरफिरे
बीच सफर में मै खुद को रोक दू कैसे।
सरफरो के हाथों जिंदगी सौंप दू कैसे ।।
वह मदहोस है मोहब्बत के जस्न मे,
अपने गम सुनाने के खातिर उसको टोक दू कैसे ।
जो खुद दरिया में डुब जाने से डरता है,
उसकी बात से दरिये मे खुद को झोक दू कैसे ।
वो धरती से खङे होकर सितारे गिनाता है,
पहुंच जाऊगा मै भी भरी महफिल मे सीना ठोक दू कैसे ।
मै कसम खा चुका कुछ कर गुजरने की,
किसी को देखकर खुद को रोक दू कैसे ।।