Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2017 · 4 min read

सती उर्मिला की महिमा

श्री रामायण को आजतक हमने अपने और इस समाज ने श्री राम की दृष्टिकोण से देखा। लक्ष्मण को देखा। देवी सीता को जाना। हनुमान के भक्ति भाव को जाना। रावण के ज्ञान को पहचाना, लेकिन कभी यह नही ध्यान दिया कि इस रामायण में अगर कोई सबसे अधिक उपेक्षित और अनदेखा पात्र था तो वह थीं लक्ष्मण की पत्नी और जनकनंदिनी सीता की अनुजा उर्मिला।
जब राम सीता वनवास को जाने लगे और बड़े आग्रह पर लक्ष्मण को भी साथ जाने की आज्ञा हुई तो पत्नी उर्मिला ने भी उनके साथ जाने का प्रस्ताव रखा परन्तु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है।
असीम पतिव्रता थीं उर्मिला के उस नवयौवन कंधों पर इतना बड़ा दायित्व डाल कर लक्ष्मण चले गए। वह पल, वह जीवन सरिता जो कोई भी नववधू अपने पति के साथ गुजारती है, वह उर्मिला के नसीब में नहीं लिखी गयी थी। पतिव्रता स्त्री ने जीवन के चंचल पड़ाव पर भी, अपने पति से दूर रहने पर भी लेशमात्र भी किसी और का ध्यान नहीं किया।
यह उर्मिला का अखंड पतिव्रत धर्म था, यह उर्मिला की अवर्णित, अचर्चित, अघोषित महानता थी, उर्मिला के महान चरित्र, अखंड पतिव्रत, स्नेह और त्याग की चर्चा रामायण में अपेक्षित थी पर वह हो न सका।
सबसे विकट क्षणों में भी उर्मिला आंसू न बहा सकी क्योंकि उनके पति लक्ष्मण ने उनसे एक और वचन लिया था कि वह कभी आंसू न बहाएंगी, क्यूंकि अगर वह अपने दुःख में डूबी रहेंगी तो परिजनों का ख्याल नहीं रख पाएंगी।
यह कोई कल्पना कर सकता है कि अपने पति को 14 वर्षों के लिए अपने से दूर जाने देना और उसकी विदाई पर आंसू भी न बहाना किसी नवविवाहिता के लिए कितना कष्टकारी हो सकता है? कितना हृदयविदारक पल था वह जब परम पूज्यनीय महाराज दशरथ स्वर्ग सिधार गए, पर वचन के सम्मान रखने के लिए उर्मिला तब भी न रोईं।
पति के लिए पिता को किया इंकार महाराज जनक अपनी पुत्री को मायके अर्थात मिथिला ले जाना चाहते थे, ताकि मां और सखियों के सान्निध्य में उर्मिला का पति वियोग का दुःख कुछ कम हो सके परन्तु उर्मिला ने मिथिला जाने से सादर इंकार कर दिया, यह कहते हुए कि अब पति के परिजनों के साथ रहना और दुख में उनका साथ न छोड़ना ही अब उसका धर्म है।
चौदह वर्षों तक सोती रहीं
बहुत से लोग इस बात से परिचित हैं कि अपने वनवास के दौरान भाई और भाभी की सेवा करने के लिए लक्ष्मण पूरे 14 साल तक नहीं सोए थे। उनके स्थान पर उनकी पत्नी उर्मिला दिन और रात सोती रहीं। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण की बेटे मेघनाद को यह वरदान प्राप्त था कि जो इंसान 14 वर्षों तक ना सोया हो केवल वही उसे हरा सकता है।
इसलिए लक्ष्मण मेघनाद को मोक्ष दिलवाने में कामयाब हुए थे। रावण के अंत और 14 वर्ष के वनवास के पश्चात जब राम, सीता और लक्ष्मण वापस अयोध्या लौटे तब वहां राम के राजतिलक के समय लक्ष्मण जोर-जोर से हंसने लगे। सभी को यह बात बेहद आश्चर्यजनक लगी कि क्या लक्ष्मण किसी का मजाक उड़ा रहे हैं?
जब लक्ष्मण से इस हंसी का कारण पूछा तो उन्होंने जो जवाब दिया कि ताउम्र उन्होंने इसी घड़ी का इंतजार किया है लेकिन आज जब यह घड़ी आई है तो उन्हें निद्रा देवी को दिया गया वो वचन पूरा करना होगा जो उन्होंने वनवास काल के दौरान 14 वर्ष के लिए उन्हें दिया था।
लक्ष्मण ने नहीं देखा भगवान राम का राजतिलक। दरअसल निद्रा ने उनसे कहा था कि वह 14 वर्ष के लिए उन्हें परेशान नहीं करेंगी और उनकी पत्नी उर्मिला उनके स्थान पर सोएंगी। निद्रा देवी ने उनकी यह बात एक शर्त पर मानी थी कि जैसे ही वह अयोध्या लौटेंगे उर्मिला की नींद टूट जाएगी और उन्हें सोना होगा।
लक्ष्मण इस बात पर हंस रहे थे कि अब उन्हें सोना होगा और वह राम का राजतिलक नहीं देख पाएंगे। उनके स्थान पर उर्मिला ने यह रस्म देखी थी।
लक्ष्मण की विजय का कारण था उर्मिला का पतिव्रत।
एक और वाकया ऐसा है जो यह बताता है कि लक्ष्मण की विजय का मुख्य कारण उर्मिला थी। मेघनाद के वध के बाद उनका शव राम जी के खेमे में था जब मेघनाद की पत्नी सुलोचना उसे लेने आई, पति का छिन्न शीश देखते ही सुलोचना का हृदय अत्यधिक द्रवित हो गया। उसकी आंखें बरसने लगीं।
रोते-रोते उसने पास खड़े लक्ष्मण की ओर देखा और कहा- “सुमित्रानन्दन, तुम भूलकर भी गर्व मत करना कि मेघनाद का वध मैंने किया है। मेघनाद को धराशायी करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी। यह तो दो पतिव्रता नारियों का भाग्य था।
अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि निद्रा देवी के प्रभाव में आकर अगर उर्मिला 14 साल तक सोती रहीं, तो सास और अन्य परिजनों की सेवा करने का लक्ष्मण को किया वादा उन्होंने कैसे पूरा किया। तो उत्तर यह है कि सीता माता ने अपना एक वरदान उर्मिला को दे दिया था। उस वरदान के अनुसार उर्मिला एक साथ तीन कार्य कर सकती थीं।

Language: Hindi
719 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
20-चेहरा हर सच बता नहीं देता
20-चेहरा हर सच बता नहीं देता
Ajay Kumar Vimal
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
Rj Anand Prajapati
हरि हृदय को हरा करें,
हरि हृदय को हरा करें,
sushil sarna
दूर किसी वादी में
दूर किसी वादी में
Shekhar Chandra Mitra
गज़ल
गज़ल
सत्य कुमार प्रेमी
*भूकंप का मज़हब* ( 20 of 25 )
*भूकंप का मज़हब* ( 20 of 25 )
Kshma Urmila
💐प्रेम कौतुक-421💐
💐प्रेम कौतुक-421💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नादान प्रेम
नादान प्रेम
Anil "Aadarsh"
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
Seema gupta,Alwar
वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी
Ram Krishan Rastogi
एक तू ही नहीं बढ़ रहा , मंजिल की तरफ
एक तू ही नहीं बढ़ रहा , मंजिल की तरफ
कवि दीपक बवेजा
आगे बढ़ने दे नहीं,
आगे बढ़ने दे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"प्यासा" "के गजल"
Vijay kumar Pandey
सावन‌....…......हर हर भोले का मन भावन
सावन‌....…......हर हर भोले का मन भावन
Neeraj Agarwal
■ कडवी बात, हुनर के साथ।
■ कडवी बात, हुनर के साथ।
*Author प्रणय प्रभात*
आओ चले अब बुद्ध की ओर
आओ चले अब बुद्ध की ओर
Buddha Prakash
नारी सम्मान
नारी सम्मान
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
" अब मिलने की कोई आस न रही "
Aarti sirsat
फ़कत इसी वजह से पीछे हट जाते हैं कदम
फ़कत इसी वजह से पीछे हट जाते हैं कदम
gurudeenverma198
बेटियाँ
बेटियाँ
विजय कुमार अग्रवाल
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रक्षा -बंधन
रक्षा -बंधन
Swami Ganganiya
सुबह -सुबह
सुबह -सुबह
Ghanshyam Poddar
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
Swara Kumari arya
*भारत माता को किया, किसने लहूलुहान (कुंडलिया)*
*भारत माता को किया, किसने लहूलुहान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
क्रिकेट
क्रिकेट
World Cup-2023 Top story (विश्वकप-2023, भारत)
अन्धी दौड़
अन्धी दौड़
Shivkumar Bilagrami
प्यार के
प्यार के
हिमांशु Kulshrestha
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"सदियों का सन्ताप"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...