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7 Aug 2017 · 1 min read

सच्ची राह पर चलने वाला

कितनी राते आयी बीती
सूरज हर सुबह उगता है
सच्ची राह पर चलने वाला
बोलो कब कहां थकता है
कोशिश ही मानव को हरदम
उच्च शिखर दिखलाती है
सूखी रोटी खाने वाला
फूस कुटी मे रहने वाला
मस्त मगन हो गाने वाला
स्वाभिमान संग जीने वाला
संघर्ष जी मानव को
फौलाद बनाती है
मां पिता की सेवा करना
बंधु जनो से मिलकर रहना
सत्य अहिंसा के मग चलना
परेशान की सेवा करना
परमार्थ ही मानव को
संत बनाती है

विन्ध्यप्रकाश मिश्र नरई संग्रामगढ प्रतापगढ उप्र

Language: Hindi
487 Views
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