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13 Jul 2017 · 1 min read

सकारात्मकता

ना उम्मीदी के गहरे दरिया से निकालना है बहुत आसान
सकारात्मकता का तेल डालकर विचार करो और प्रकाशवान
ये सारी परिस्थितिया तुम्हारी सोच का ही तो है परिणाम
सकारात्मक विचार हों मन में फिर देखो क्या होता आंजाम

क्या कर सकते हो या क्या नहीं सोच के ही सारे बंधन हैं
वरना कोई सीमा है ही नहीं पास तुम्हारे इतने संसाधन हैं
सोच का यदि दायरा बढ़ाओ डर की बेड़ियाँ मन से हटाओ
सब कुछ संभव है इस जीवन में यदि दृढ निश्चय से भर जाओ

जितनी भी परिधि की हैं बेड़ियाँ स्वयं हमने ही तो बांधी हैं
सफलता उसी को मिली सदा जिसने सारी सीमायेँ लांघी है
फिर से नए कैनवास पर स्वयं से बड़े तुम लक्ष्य बनाओ
यदि प्रसन्न नहीं इस जीवन से तो फिर नए सपने सजाओ

हर दिवस एक उत्सव है जो जीवन पर्व मनाओ नित दिन
हर मुश्किल हल हो जाएगी यदि जियो यदि तुम चिंताविहीन
जीवन मैं सदेव प्रसन्न रहने का सबसे सरल है एक उपाय
अपने घर के साथ साथ औरों के जग मैं भी खुशियाँ बिखरायें।

Language: Hindi
462 Views
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