Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2017 · 2 min read

*** संस्मरण ***

संस्मरण / दिनेश एल० “जैहिंद”

हम दो भाई हैं, मैं ज्येष्ठ हूँ । पिताजी की हार्दिक इच्छा थी कि हम दोनों भाई पढ़-लिख कर किसी सरकारी नौकरी पर लग जाएं और हमारी पारिवारिक स्थिति सुधर जाए फिर आगे के लिए परिवार की आर्थिक-स्थिति मजबूत हो जाय और वे परिवार की ओर से निश्चिंत हो जाएं । मगर ऐसा नहीं हुआ ।
आदमी की इच्छा-पूर्ति और उसके प्राण का रहस्य कहीं और छुपा होता है ।
उन दिनों दसवीं के बाद अच्छी-खासी सरकारी नौकरियां उपलब्ध थीं, फिर बारहवीं और बी° ए° के बाद तो और भी………!
पर हम दोनों भाइयों में से कोई एक भी सरकारी नौकरी लेने में सफल नहीं हो सका । भाई तो अर्थाभाव के कारण बिल्कुल ही कोशिश न कर सका, परन्तु मैंने थोड़ी बहुत कोशिश की थी ! लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ।
फिल्मों का जो चस्का लगा था, उच्च महत्त्वाकांक्षाएँ माता-पिता की लालसा व उम्मीदों पर पानी फेर देती हैं और कभीकभार खुद के लिए जीना दूभर कर देती हैं ।
भाई दिल्ली जाकर किसी फैक्टरी में लग गया और मैं गीतकार व लेखक बनने के लिए कभी दिल्ली, कलकत्ता तो बम्बई तो कभी गाँव का चक्कर लगाता रहा और पिताजी की नजरों का कोपभाजन बनता रहा ।
पिताजी हमारी तरफ से हताश और अंतत: निराश हो गए । उनमें अब लेशमात्र भी हमसे उम्मीद बची न रह सकी । वे अब नौकरी से रिटायर्ड हो चुके थे और गाँव में आकर रहने लगे थे । परन्तु हम दोनों भाइयों में से कोई भी सरकारी मुलाजिम न बन पाया और इसका मलाल उन्हें ताउम्र बना रहा ।
विगत चार साल पहले वे हमसे रूठ गए और वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी अपूर्ण लालसा आज भी मेरे दिल को चोट मारती है और मैं दिल मसोसकर रह जाता हूँ ।
विगत 2015 जुलाई में भगवान की असीम कृपा से मेरे बड़े लड़के जीतेश की बिहार पुलिस बी° एम° पी° में नौकरी हो गई और फिर हम सबको पिताजी की बहुत याद आई । छोटे भाई और शेष सभी ने एक सूर में कहा— “काश पिताजी होते और वे अपनी आँखों से ये सब देख पाते ।“

=============
दिनेश एल० “जैहिंद”
12. 04. 2017

Language: Hindi
Tag: लेख
589 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
करते हो क्यों प्यार अब हमसे तुम
gurudeenverma198
रमेशराज के विरोधरस के गीत
रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
मर्यादापुरुषोतम श्री राम
मर्यादापुरुषोतम श्री राम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
शिल्पी सिंह बघेल
*आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग(कुंडलिया)*
*आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
राह बनाएं काट पहाड़
राह बनाएं काट पहाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr.Priya Soni Khare
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
बदनाम शराब
बदनाम शराब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
भुला भुला कर के भी नहीं भूल पाओगे,
Buddha Prakash
सर्दियों की धूप
सर्दियों की धूप
Vandna Thakur
क्या है नारी?
क्या है नारी?
Manu Vashistha
!! मन रखिये !!
!! मन रखिये !!
Chunnu Lal Gupta
शुक्रिया कोरोना
शुक्रिया कोरोना
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धर्म नहीं, विज्ञान चाहिए
धर्म नहीं, विज्ञान चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
ऐसा लगता है कि शोक सभा में, नकली आँसू बहा रहे हैं
Shweta Soni
"स्वतंत्रता दिवस"
Slok maurya "umang"
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
surenderpal vaidya
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ले चल मुझे उस पार
ले चल मुझे उस पार
Satish Srijan
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
पूर्वार्थ
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा  है मैंने
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा है मैंने
शिव प्रताप लोधी
नदियां
नदियां
manjula chauhan
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ब्याहता
ब्याहता
Dr. Kishan tandon kranti
वाह रे मेरे समाज
वाह रे मेरे समाज
Dr Manju Saini
करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
कवि दीपक बवेजा
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...