शीत लहर की डुगडुगी , इधर मचाए शोर
शीत लहर की डुगडुगी , इधर मचाए शोर
उधर ओढ़ कोहरा घना , थर थर काँपे भोर
अकड़ी अकड़ी दिख रही , देखो कितनी धूप
संग हमारे खेलती , खेल सिपाही चोर
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दूर से दिखती नगीना ज़िन्दगी
पर नहीं आसान जीना ज़िन्दगी
है कभी खुशियों के आँसू की तरह
तो कभी बहता पसीना ज़िन्दगी
डॉ अर्चना गुप्ता