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9 Apr 2017 · 1 min read

शाम..।

कभी कभी शाम कुछ ऐसे कहीं होती है,

जैसे तुम्हारी याद आसमां में सितारे बोती है।

दूर कहीं से ख्यालों का कारवाँ चला आता है,

और एक चेहरा चाँद पर आकर ठहर जाता है।

ख्वाबों का परिंदा बड़ी बाज़ीगिरी करता है,

दूर आसमां में एक ऊँची परवाज़ भरता है।

लौट आते हो ज़हन मे जब सहर होती है,

ज़मी पर कहीं शबनम कहीं धुंध पड़ी होती है।

कभी कभी शाम कुछ ऐसे भी होती है,

कभी कभी रात कुछ ऐसे भी गुज़रती है।

~अनुराग©

Language: Hindi
452 Views
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