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15 Aug 2017 · 1 min read

शहीद की पत्नी

उनके मन की करुण व्यथा से,
एक अमर कथा लिख जायेगी।
घाव भरे गंभीर समंदर से,
पाषाण धरती पिघल जायेगी।।
ह्रदय में अग्निबाण लेकर,
निज सूत को दूध पिलाएगी।
भेज देगी फिर सौगंध देकर,
शीश के बदले शीश मंगायेंगी।।
वतन की सीमा है रक्तिम,
सिंदूर से सींची जायेगी।
भेज देगी हिय का अंशिम्,
फिर से तिलक लगायेगी।।
उम्मीदों से आगे उसके,
त्याग तपस्या का सैलाब है।
सपनो में भी उगता जिसके,
राष्ट्र भक्ति का उजास है।।
ऐसी सिंहनियो के बल से,
सरहदे जिन्दा रहती है।
शिव’लहरी’नत मस्तक है,
जो तिरंगे के दिल में बसती है।।
(डॉ शिव’लहरी’)

Language: Hindi
1 Like · 733 Views
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