शहीदों को नमन
वज्न-?
1222-1222-1222-1222
अर्कान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
बह्र –
बह्रे हज़ज़ मुसम्मिन सालिम
ग़ज़ल
———
शहादत आज जो दी है उन्हें हम याद रक्खेंगे।
शहीदों को दिलों में हम सदा आबाद रक्खेंगे ।।
मिटाने से नही मिटती जरा सुन लो ऐ जालिम तू।
ये धरती जान है अपनी इसे हम शाद रक्खेंगे ।।
सितम तू लाख कर ले तीर दिल पर हम तो झेलेंगे
मगर तुझसे नहीं जालिम कोई फ़रियाद रक्खेंगे।।
ग़मों के भीड़ में रह कर कभी तन्हा नही होते।
हजारों ग़म उठा कर भी ये दिल शाद रक्खेंगे ।।
जलाने से मिटाने से कभी न हो फनां जो वो।
दिलों में प्यार की ऐसी नई ईज़ाद रक्खेंगे ।।
लहू के बूंद से “प्रीतम” यही हम सोचते हर दम।
मुहब्बत के महल की हम सदा बुनियाद रक्खेंगे ।।