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27 Aug 2016 · 1 min read

शस्त्र होती कलम है कलमकार की।

है मुझे अब जरूरत न तलवार की।
शस्त्र होती कलम है कलमकार की।। 1

लूट चोरी डकैती तथा अपहरण।
हैं यही सुर्खियाँ आज अखबार की।।2

साथ सच का निभाना हमेशा मुझे।
फिक्र मुझको नहीं जीत औ हार की।। 3

मुफलिसी में कोई सँग निभाता नहीं।
खासियत है यही एक संसार की।।4

फाँसियां टाँग ही दो उन्हे अब जिन्हे।
औरतें दिख रहीं चीज बाजार की।5

दर्द ही दर्द होगा जो माना कहा।
मानिए ही नहीं बात मक्कार की।।6

सिलसिला आंसुओं का थमा ही नहीं।
याद आई मुझे जब भी’ दिलदार की।।7

दीप हो क्या गया है वतन को मे’रे।
हर कोई कर रहा बात बेकार की।।8

प्रदीप कुमार “दीप”

1 Comment · 260 Views
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