Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2016 · 1 min read

शरद ऋतु के जंगल

शरद ऋतु के जंगल

भोर की मुस्काती बेला में
कोहरे की पतली सी चादर में
रवि रश्मि के स्वागत को आतुर
घने घने से मिले मिले से
शांत भाव से खड़े हुए से
कुछ ठिठुरते से लगते हैं
कुछ कपकपी करते से
एक अबोध शिशु की भाँति
कितने निश्छल लगते हैं
शरद ऋतु में घने जंगल ।
धूप बिखरते ही हँसते से
ओस कणों से मुँह धोकर
हरे भरे खिले खिले से
मस्तमौला पवनों के संग
सर-सर सर-सर मस्ती करते
शरद ऋतु में मस्त जंगल ।
साँझ ढले वन तपस्वी से
लगते मानों तप करते से
या फिर हैं कुछ सहमे सहमे से
रात रानी से डरे हुए से
साँय साँय की आवाज़ों से
हो भयभीत सोए हुए से
शरद ऋतु के भरे जंगल ।

डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
* सताना नहीं *
* सताना नहीं *
surenderpal vaidya
#सत्यकथा
#सत्यकथा
*Author प्रणय प्रभात*
"सन्देश"
Dr. Kishan tandon kranti
2876.*पूर्णिका*
2876.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हीरा जनम गंवाएगा
हीरा जनम गंवाएगा
Shekhar Chandra Mitra
हिंदी की दुर्दशा
हिंदी की दुर्दशा
Madhavi Srivastava
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कुछ बात थी
कुछ बात थी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सच तो फूल होते हैं।
सच तो फूल होते हैं।
Neeraj Agarwal
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
manjula chauhan
*थियोसोफी के अनुसार मृत्यु के बाद का जीवन*
*थियोसोफी के अनुसार मृत्यु के बाद का जीवन*
Ravi Prakash
बाल कविता : रेल
बाल कविता : रेल
Rajesh Kumar Arjun
गंगा दशहरा मां गंगा का प़काट्य दिवस
गंगा दशहरा मां गंगा का प़काट्य दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"बचपन"
Tanveer Chouhan
खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
शेखर सिंह
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पारख पूर्ण प्रणेता
पारख पूर्ण प्रणेता
प्रेमदास वसु सुरेखा
नीलामी हो गई अब इश्क़ के बाज़ार में मेरी ।
नीलामी हो गई अब इश्क़ के बाज़ार में मेरी ।
Phool gufran
टेंशन है, कुछ समझ नहीं आ रहा,क्या करूं,एक ब्रेक लो,प्रॉब्लम
टेंशन है, कुछ समझ नहीं आ रहा,क्या करूं,एक ब्रेक लो,प्रॉब्लम
dks.lhp
20. सादा
20. सादा
Rajeev Dutta
*माटी की संतान- किसान*
*माटी की संतान- किसान*
Harminder Kaur
आब त रावणक राज्य अछि  सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
आब त रावणक राज्य अछि सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
DrLakshman Jha Parimal
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
आओ कृष्णा !
आओ कृष्णा !
Om Prakash Nautiyal
ह्रदय
ह्रदय
Monika Verma
आज फिर हाथों में गुलाल रह गया
आज फिर हाथों में गुलाल रह गया
Rekha khichi
एक खत जिंदगी के नाम
एक खत जिंदगी के नाम
पूर्वार्थ
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
Dr MusafiR BaithA
मकर संक्रांति -
मकर संक्रांति -
Raju Gajbhiye
मैं जानती हूँ तिरा दर खुला है मेरे लिए ।
मैं जानती हूँ तिरा दर खुला है मेरे लिए ।
Neelam Sharma
Loading...