Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2016 · 1 min read

शरद ऋतु के जंगल

शरद ऋतु के जंगल

भोर की मुस्काती बेला में
कोहरे की पतली सी चादर में
रवि रश्मि के स्वागत को आतुर
घने घने से मिले मिले से
शांत भाव से खड़े हुए से
कुछ ठिठुरते से लगते हैं
कुछ कपकपी करते से
एक अबोध शिशु की भाँति
कितने निश्छल लगते हैं
शरद ऋतु में घने जंगल ।
धूप बिखरते ही हँसते से
ओस कणों से मुँह धोकर
हरे भरे खिले खिले से
मस्तमौला पवनों के संग
सर-सर सर-सर मस्ती करते
शरद ऋतु में मस्त जंगल ।
साँझ ढले वन तपस्वी से
लगते मानों तप करते से
या फिर हैं कुछ सहमे सहमे से
रात रानी से डरे हुए से
साँय साँय की आवाज़ों से
हो भयभीत सोए हुए से
शरद ऋतु के भरे जंगल ।

डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
खुद की तलाश में।
खुद की तलाश में।
Taj Mohammad
निभाना साथ प्रियतम रे (विधाता छन्द)
निभाना साथ प्रियतम रे (विधाता छन्द)
नाथ सोनांचली
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
Shreedhar
मंजिल नई नहीं है
मंजिल नई नहीं है
Pankaj Sen
💐अज्ञात के प्रति-138💐
💐अज्ञात के प्रति-138💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
राजनीति का नाटक
राजनीति का नाटक
Shyam Sundar Subramanian
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मुहब्बत
मुहब्बत
बादल & बारिश
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
Swami Ganganiya
राष्ट्रीय किसान दिवस : भारतीय किसान
राष्ट्रीय किसान दिवस : भारतीय किसान
Satish Srijan
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हिंदी का सम्मान
हिंदी का सम्मान
Arti Bhadauria
इक धुँधला चेहरा, कुछ धुंधली यादें।
इक धुँधला चेहरा, कुछ धुंधली यादें।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
Phool gufran
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
#आलेख-
#आलेख-
*Author प्रणय प्रभात*
किसी रोज मिलना बेमतलब
किसी रोज मिलना बेमतलब
Amit Pathak
एक वो है मासूमियत देख उलझा रही हैं खुद को…
एक वो है मासूमियत देख उलझा रही हैं खुद को…
Anand Kumar
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दीवार में दरार
दीवार में दरार
VINOD CHAUHAN
2383.पूर्णिका
2383.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
महसूस कर रही हूँ बेरंग ख़ुद को मैं
महसूस कर रही हूँ बेरंग ख़ुद को मैं
Neelam Sharma
दरदू
दरदू
Neeraj Agarwal
अपनी कमी छुपाए कै,रहे पराया देख
अपनी कमी छुपाए कै,रहे पराया देख
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Muhabhat guljar h,
Muhabhat guljar h,
Sakshi Tripathi
विकास का ढिंढोरा पीटने वाले ,
विकास का ढिंढोरा पीटने वाले ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
खुदकुशी से पहले
खुदकुशी से पहले
Shekhar Chandra Mitra
वो मेरे दिल के एहसास अब समझता नहीं है।
वो मेरे दिल के एहसास अब समझता नहीं है।
Faiza Tasleem
Loading...