Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2017 · 1 min read

शमशाद शाद की एक खूबसूरत ग़ज़ल

चलो चल के उनके सितम देखते हैं
शुजाअत का क्या है भरम देखते हैं

कन-अँखियों से देखे है हर कोई उस को
खुली आँखों से सिर्फ हम देखते हैं

निगाहों से मस्ती लुटाते हैं सब पर
बस इक हम हैं जिनको वो कम देखते हैं

वो हासिल नहीं ज़ीस्त में दर-हक़ीक़त
तभी उसको ख़्वाबों में हम देखते हैं

करे ख़ाक या कि ये गुलज़ार कर दे
रह-ए-इश्क़ के ज़ेर-ओ-बम देखते हैं

अगर दाव पर हैं वफ़ाएं हमारी
तो खा कर तुम्हारी क़सम देखते हैं

हमें पास-ए-इज्ज़त, उन्हें ख़ौफ़-ए-दुनिया
“न वो देखते हैं न हम देखते हैं”

मेरा दिल तो उन पर फ़िदा है मगर ‘शाद’
वो हैं कि मुझे मोहतरम देखते हैं

शमशाद शाद, नागपुर
9767820085

571 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विवश प्रश्नचिन्ह ???
विवश प्रश्नचिन्ह ???
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
DrLakshman Jha Parimal
राजनीति की नई चौधराहट में घोसी में सभी सिर्फ़ पिछड़ों की बात
राजनीति की नई चौधराहट में घोसी में सभी सिर्फ़ पिछड़ों की बात
Anand Kumar
साईकिल दिवस
साईकिल दिवस
Neeraj Agarwal
भारत माता की वंदना
भारत माता की वंदना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Life
Life
C.K. Soni
झकझोरती दरिंदगी
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
हक़ीक़त का आईना था
हक़ीक़त का आईना था
Dr fauzia Naseem shad
ना जाने क्यों तुम,
ना जाने क्यों तुम,
Dr. Man Mohan Krishna
आज का दिन
आज का दिन
Punam Pande
एक तूही ममतामई
एक तूही ममतामई
Basant Bhagawan Roy
सत्य की खोज
सत्य की खोज
dks.lhp
वो लड़का
वो लड़का
bhandari lokesh
जीवात्मा
जीवात्मा
Mahendra singh kiroula
कैसे बताऊं मेरे कौन हो तुम
कैसे बताऊं मेरे कौन हो तुम
Ram Krishan Rastogi
कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये
कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पहली बैठक
पहली बैठक "पटना" में
*Author प्रणय प्रभात*
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्पीड
स्पीड
Paras Nath Jha
मन के मंदिर में
मन के मंदिर में
Divya Mishra
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
Dr MusafiR BaithA
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
manjula chauhan
3105.*पूर्णिका*
3105.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्कूल जाना है
स्कूल जाना है
SHAMA PARVEEN
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
'अशांत' शेखर
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
रंग वासंती पीले (कुंडलिया )
रंग वासंती पीले (कुंडलिया )
Ravi Prakash
बेटी और प्रकृति
बेटी और प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
Loading...