Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2016 · 1 min read

“वो चिडिया “

__________________________________
घर वो वैसा ही है आँगन भी वही मगर, वो चिडिया अब मेरे आँगन में आती नहीं…
*******************************
मैने उसे याद किया नहीं पहले मगर, वो आती थी रोज़ाना जरुर !
आज अगर आवाज़ दूँ उसे चिल्लाऊँ जोरो से मगर, आती नहीं शायद गई वो अब कहीं दूर !
***********************************
घर वो वैसा ही है आँगन भी वही मगर, वो चिडिया मेरे आँगन में आती नही…
**********************************
उसकी वो आवाज़ चहचहाने की मेरे सपनो में अब आती है कभी ,
पहले तो क्या था आ जाती थी वो रात या दिन कभी भी !
पुर्खों की तरह शायद वो अब कभी आयेगी , मगर दिल कहता है शायद कहीं तो दिख जायेगी !
————————————————–
घर वो वैसा ही है आँगन भी वही मगर , वो चिडिया अब मेरे आँगन में आती नहीं …
********************************
क्यों हो रहे विलुप्त हर रोज़ क्या हैं ये अफ़साने,
ना कर तू उम्मीद बृज वो ज़माने थे पुराने !
जहाँ नहीं इंसा वहाँ इस पक्षी का क्या काम वर्चस्व इनका खोता रहा सदा बस बचा हुआ है नाम !
———————————————————-
घर वो वैसा ही है आँगन भी वही मगर, वो चिडिया मेरे आँगन में आती नहीं ..

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 538 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कवि रमेशराज
9) “जीवन एक सफ़र”
9) “जीवन एक सफ़र”
Sapna Arora
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
Pooja Singh
गीतिका/ग़ज़ल
गीतिका/ग़ज़ल
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
मदनोत्सव
मदनोत्सव
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अपनी स्टाईल में वो,
अपनी स्टाईल में वो,
Dr. Man Mohan Krishna
रोटियां जिनका ख़्वाब होती हैं
रोटियां जिनका ख़्वाब होती हैं
Dr fauzia Naseem shad
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
" छोटा सिक्का"
Dr Meenu Poonia
सूर्यदेव
सूर्यदेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"गांव की मिट्टी और पगडंडी"
Ekta chitrangini
"हर सुबह कुछ कहती है"
Dr. Kishan tandon kranti
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
नेताम आर सी
चलो मिलते हैं पहाड़ों में,एक खूबसूरत शाम से
चलो मिलते हैं पहाड़ों में,एक खूबसूरत शाम से
पूर्वार्थ
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
SHAMA PARVEEN
जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां  पर आपको उपस्थित ह
जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां पर आपको उपस्थित ह
Rj Anand Prajapati
■ दोहा देव दीवाली का।
■ दोहा देव दीवाली का।
*Author प्रणय प्रभात*
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
Pratibha Pandey
"वो यादगारनामे"
Rajul Kushwaha
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
प्रेमदास वसु सुरेखा
जां से बढ़कर है आन भारत की
जां से बढ़कर है आन भारत की
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तू सहारा बन
तू सहारा बन
Bodhisatva kastooriya
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
अपनों की जीत
अपनों की जीत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
कल चाँद की आँखों से तन्हा अश्क़ निकल रहा था
कल चाँद की आँखों से तन्हा अश्क़ निकल रहा था
'अशांत' शेखर
Loading...