Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2017 · 1 min read

वो आठ दोहे ।

जीवन नौका जग जलधि, आशा की पतवार ।
भांप भवँर में डगमगी, ,,,,,,,चुप है खेवनहार ।1।

दिन है सच का आवरण , रजनी झूठ प्रतीक ।
सुबह शाम है दोगले ,,,, लगते सबको नीक ।।2।।

वाणी में जिनके गरल , ,,,,उर में पर सन्ताप ।।
क्रोधी, तुनकमिजाज, हम ,,दुर्जन अपनेआप ।।3

दम्भ, कुकर्मी , नीचता,,,,,,,,दुर्जन की पहचान ।।
मुख है विष की पोटली,,,अरि भुजंग सम जान ।।4

चली योजना सालभर,, हुआ अथक प्रयास ।
देख गरीबों की दशा ,,,,,रोता रहा विकास ।।5

आँख मिचौली खेलते ,,,,,,झोंक रहे है धूल ।
हुआ असर हर गाँव में ,,उन्नति के प्रतिकूल ।। 6

दुर्दिन दुःख दारुण यथा, खास एक मलमास ।।
जीवन ही उम्मीद है ,,,, ,,,होना नही उदास ।।7

प्रेम गगन बिच ढूढ़ती, आशाओं के रंग ।
जीवन डोर समेटती , उड़ती रहे पतंग ।। 8

©राम केश मिश्र

Language: Hindi
354 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
क्या देखा
क्या देखा
Ajay Mishra
*सीधे-साधे लोगों का अब, कठिन गुजारा लगता है (हिंदी गजल)*
*सीधे-साधे लोगों का अब, कठिन गुजारा लगता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
2324.पूर्णिका
2324.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रिसते हुए घाव
रिसते हुए घाव
Shekhar Chandra Mitra
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
Neelam Sharma
मित्रता का बीज
मित्रता का बीज
लक्ष्मी सिंह
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है, दिल के सुकूं की क़ीमत, आँखें आंसुओं की किस्तों से चुकाती है
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है, दिल के सुकूं की क़ीमत, आँखें आंसुओं की किस्तों से चुकाती है
Manisha Manjari
*क्या देखते हो*
*क्या देखते हो*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
I want to collaborate with my  lost pen,
I want to collaborate with my lost pen,
Sakshi Tripathi
■ जय जय शनिदेव...
■ जय जय शनिदेव...
*Author प्रणय प्रभात*
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
करन ''केसरा''
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
लोग बंदर
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
एक ज्योति प्रेम की...
एक ज्योति प्रेम की...
Sushmita Singh
डर का घर / MUSAFIR BAITHA
डर का घर / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
11) “कोरोना एक सबक़”
11) “कोरोना एक सबक़”
Sapna Arora
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
हरवंश हृदय
"शिक्षक तो बोलेगा”
पंकज कुमार कर्ण
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
नूरफातिमा खातून नूरी
कौन गया किसको पता ,
कौन गया किसको पता ,
sushil sarna
दिसंबर
दिसंबर
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
शिखर ब्रह्म पर सबका हक है
शिखर ब्रह्म पर सबका हक है
मनोज कर्ण
महताब जमीं पर
महताब जमीं पर
Satish Srijan
पिता का पता
पिता का पता
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जब पीड़ा से मन फटता है
जब पीड़ा से मन फटता है
पूर्वार्थ
ज़िंदगी देती है
ज़िंदगी देती है
Dr fauzia Naseem shad
"इन्तेहा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वक्त कि ये चाल अजब है,
वक्त कि ये चाल अजब है,
SPK Sachin Lodhi
Loading...