Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Dec 2016 · 2 min read

वेलकम होम

कार तेज़ी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ रही थी। कार की पिछली सीट पर रोहन उदास बैठा था। वह अपने दादा जी के घर जा रहा था। उन दादा जी के घर जिनसे उसकी पहचान घर में रखे उनके फोटो और अपने पापा के मुख से उनके बारे में सुनी हुई बातों तक ही सीमित थी। उसके दादा जी की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर उस के पापा ने उस की मम्मी से शादी की थी इस बात से रोहन के दादा जी उस के पापा से नाराज़ थे। यही कारण है की वो उनसे पहले कभी नहीं मिला था।
रोहन अपने बीते जीवन को याद कर रहा था। कितने सुंदर दिन थे। वो और उसे दिलोजान से चाहने वाले उस के मम्मी पापा। एक सुखी परिवार। उस के मम्मी पापा उस की हर ख्वाहिश पूरी करते थे। वह भी उन्हें सदैव खुश रखने का प्रयास करता था। किन्तु एक सड़क दुर्घटना ने उस का सब कुछ छीन लिया। उस के मम्मी पापा उस दुर्घटना में मारे गए। उसे कुछ मामूली चोटों के आलावा कुछ नहीं हुआ। अब वह इस दुनिया में अकेला था। सिवा उसके दादा जी के उसका अन्य कोई रिश्तेदार नहीं था अतः वह अपने दादा जी के पास जा रहा था।
पिछले बारह वर्षों में उसके दादा जी ने उनसे कोई सम्बन्ध नहीं रखा। जब रोहन के पिता ने उन्हें रोहन के जन्म की खबर फ़ोन पर दी तो भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। खबर सुनकर चुपचाप फ़ोन रख दिया। रोहन के मन में दुविधा थी न जाने वे उसके संग किस तरह पेश आयें। अपने मम्मी पापा का दुलारा रोहन किसी के घर भी अनचाहे मेहमान की तरह नहीं जाना चाहता था।
कार एक बड़े से बंगले के पोर्टिको में जाकर रुकी। एक बटलर ने आगे बढ़ कर उसका स्वागत किया। रोहन लंगड़ाते हुए उसके पीछे चलने लगा। बंगले में अजीब सा सन्नाटा था। बटलर के साथ चलते हुए वह एक लाइब्रेरी नुमा बड़े से कमरे में पहुंचा। वहां व्हीलचेयर पर रोहन के दादा जी बैठे कोई किताब पढ़ रहे थे। बटलर ने रोहन के आने की सूचना दी। उन्होंने किताब बंद कर दी। अपनी व्हीलचेयर को धकेल कर कुछ आगे लाये। वे बहुत कमज़ोर लग रहे थे।वे बड़े गौर से रोहन को देखने लगे । उनकी आँखों में अकेलेपन की पीड़ा साफ़ दिखाई दे रही थी।
रोहन चुपचाप एक बुत की तरह खड़ा था वह समझ नहीं पा रहा था की क्या करे। रोहन के दादा जी की आँखों से टप टप आंसू गिरने लगे. उन्होंने अपने दोनों हाथ फैला दिए। रोहन पहले तो कुछ झिझका फिर दौड़ कर उनके गले लग गया। दोनों कुछ देर यूं ही गले लगे रहे। उसके दादा जी ने भर्राई हुई आवाज़ में कहा ” वेलकम होम सन।” रोहन के दिल से उदासी के बादल छट गए। वो कोई अनचाहा मेहमान नहीं था। वह तो किसी के सूने जीवन का उजाला था।

Language: Hindi
521 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
Rajesh Kumar Arjun
प्रेम
प्रेम
Mamta Rani
हरित - वसुंधरा।
हरित - वसुंधरा।
Anil Mishra Prahari
जुल्मतों के दौर में
जुल्मतों के दौर में
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम ही जीवन है।
प्रेम ही जीवन है।
Acharya Rama Nand Mandal
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा ,
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा ,
श्याम सिंह बिष्ट
कनि हँसियाै ने सजनी kani hasiyo ne sajni lyrics
कनि हँसियाै ने सजनी kani hasiyo ne sajni lyrics
Music Maithili
2983.*पूर्णिका*
2983.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आसान होते संवाद मेरे,
आसान होते संवाद मेरे,
Swara Kumari arya
हमनें अपना
हमनें अपना
Dr fauzia Naseem shad
इश्क  के बीज बचपन जो बोए सनम।
इश्क के बीज बचपन जो बोए सनम।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मातृत्व
मातृत्व
Dr. Pradeep Kumar Sharma
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
VINOD CHAUHAN
Kbhi Karib aake to dekho
Kbhi Karib aake to dekho
Sakshi Tripathi
वन  मोर  नचे  घन  शोर  करे, जब  चातक दादुर  गीत सुनावत।
वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
ये पांच बातें
ये पांच बातें
Yash mehra
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
*नाम है इनका, राजीव तरारा*
*नाम है इनका, राजीव तरारा*
Dushyant Kumar
कुछ पंक्तियाँ
कुछ पंक्तियाँ
आकांक्षा राय
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
Shweta Soni
कलमी आजादी
कलमी आजादी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
छत्तीसगढ़ के युवा नेता शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana
छत्तीसगढ़ के युवा नेता शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana
Bramhastra sahityapedia
*फूलों का त्यौहार ( कुंडलिया )*
*फूलों का त्यौहार ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
Neelam Sharma
मतदान
मतदान
साहिल
' नये कदम विश्वास के '
' नये कदम विश्वास के '
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
* इंसान था रास्तों का मंजिल ने मुसाफिर ही बना डाला...!
* इंसान था रास्तों का मंजिल ने मुसाफिर ही बना डाला...!
Vicky Purohit
💐प्रेम कौतुक-534💐
💐प्रेम कौतुक-534💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...