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4 Jun 2017 · 1 min read

वेगवती छन्द

◆वेगवती छंद(अर्ध सम वर्णिक)◆
विधान~ 4 चरण,2-2 चरण समतुकांत।
विषम पाद- सगण सगण सगण गुरु(10वर्ण)
112 112 112 2
सम पाद-भगण भगण भगण गुरु गुरु(11वर्ण)
211 211 211 2 2

कब सांस यहाँ पर छूटे।
या कब जीवन का फल टूटे।
मनवा हमको बस जीना।
सोच यही सब ही गम पीना।

गिरते पड़ते चलना है।
जीवन में सबसे लड़ना है।
सत कर्म यहां करना है।
अन्त यहाँ सबको मरना है।

*****मधुसूदन गौतम

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 498 Views
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