विश्वास की गली में ये ज़िन्दगी पली है
विश्वास की गली में
ये ज़िन्दगी पली है
देती है दर्द अक्सर
लगती मगर भली है
होती शुरू किरण से
हर भोर की कहानी
आती है चाँदनी से
हर रात पे जवानी
यह साथ साथ इनके
चुपचाप ही चली है
है आज गम जहाँ पर
कल थी ख़ुशी वहाँ पर
यह छीन भी तो लेती
देती अगर यहाँ पर
है खार तो कहीं ये
खिलती हुई कली है
होती है ज़िन्दगी तो
बस प्यार की अमानत
चुन फूल नफरतों के
करना सदा इबादत
बरबाद तब हुई ये
नफरत में जब जली है
डॉ अर्चना गुप्ता