Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2017 · 1 min read

विज्ञान आज अभिशाप बन गया

याद आ रही उन दिनो की
समय चल रहा धीरे चाल
गति प्रगति की मंद रही थी
बिन विज्ञान पिछडे हालात
बैलो की जोडी जब संग थी
खुशी थी घर घर मन उमंग थी
नही प्रदूषण कृतिम ढंग थी
हरे भरे खेतो मे तरंग थी
प्रकृति सारी सुन्दर सुरंग थी
अपने हाथ का रहा सहारा
दुख को जीत चुका सारा
सुखी रहा परिवार हमारा
रोग दोष था हमसे हारा
खेती केवल आय सहारा
जय किसान का था जब नारा
पर अब समय पलट चुका है
कृत्रिमता घर घर मे घुसा है
मानव भी अब बने दिखाये
सच न जाने धोखा खाये
विज्ञान आज अभिशाप बन गयी
दुख का कारण ताप बन गयी

विन्ध्यप्रकाश मिश्र

Language: Hindi
198 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वह तोड़ती पत्थर / ©मुसाफ़िर बैठा
वह तोड़ती पत्थर / ©मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
याद रहेगा यह दौर मुझको
याद रहेगा यह दौर मुझको
Ranjeet kumar patre
तुम्हारे लिए हम नये साल में
तुम्हारे लिए हम नये साल में
gurudeenverma198
फितरत सियासत की
फितरत सियासत की
लक्ष्मी सिंह
शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा व्यवस्था
Anjana banda
कुछ कहमुकरियाँ....
कुछ कहमुकरियाँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
नींद और ख्वाब
नींद और ख्वाब
Surinder blackpen
2766. *पूर्णिका*
2766. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
When you become conscious of the nature of God in you, your
When you become conscious of the nature of God in you, your
पूर्वार्थ
आधुनिक परिवेश में वर्तमान सामाजिक जीवन
आधुनिक परिवेश में वर्तमान सामाजिक जीवन
Shyam Sundar Subramanian
जनता  जाने  झूठ  है, नेता  की  हर बात ।
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
sushil sarna
मेरे जीवन के इस पथ को,
मेरे जीवन के इस पथ को,
Anamika Singh
"दौर वो अब से जुदा था
*Author प्रणय प्रभात*
मैं विवेक शून्य हूँ
मैं विवेक शून्य हूँ
संजय कुमार संजू
सीरिया रानी
सीरिया रानी
Dr. Mulla Adam Ali
स्थाई- कहो सुनो और गुनों
स्थाई- कहो सुनो और गुनों
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
VINOD CHAUHAN
दिव्य ज्योति मुखरित भेल ,ह्रदय जुड़ायल मन हर्षित भेल !पाबि ले
दिव्य ज्योति मुखरित भेल ,ह्रदय जुड़ायल मन हर्षित भेल !पाबि ले
DrLakshman Jha Parimal
"रख हिम्मत"
Dr. Kishan tandon kranti
*श्रम से पीछे कब रही, नारी महिमावान (कुंडलिया)*
*श्रम से पीछे कब रही, नारी महिमावान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आश भरी ऑखें
आश भरी ऑखें
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
साक्षर महिला
साक्षर महिला
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*
*"शबरी"*
Shashi kala vyas
झूठ रहा है जीत
झूठ रहा है जीत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दंगा पीड़ित कविता
दंगा पीड़ित कविता
Shyam Pandey
बैगन के तरकारी
बैगन के तरकारी
Ranjeet Kumar
Loading...