विजय पर्व
आ गया फिर
बुराई पर अच्छाई की
जीत का पर्व ,
मनाएंगे सब इसे
पूरे हर्षोल्लास से और
बधाई देंगे एक दूसरे को
इस विजय पर्व की ।
फिर शाम आते आते
मेले में खड़े बुराई के प्रतीकों के
जलने पर हर्ष का
अनुभव करेंगे , साथ ही
बच्चों को रावण की बुराई
और
राम की अच्छाई के बारे में
संक्षेप में बताएंगे फिर
मेले के आनंद में खो जाएंगे,
यहीं इति श्री हो जाएगी
साल भर के त्योहार की
यात्रा की ,
चर्चा खत्म हो जाएगी
बुराई पर अच्छाई की जीत की,
एक कहानी की तरह ,
क्योंकि अगर सच में
बुराई के प्रतीकों को जलाने से
बुराई समाप्त हो जाती
तो सदियों पहले ही
इन प्रतीकों को जलाने की
जरूरत ही न होती
और हमारा समाज
सदाचार की सुंदर महक से
महकता महसूस होता ।
प्रतीक्षा कर रही हूँ कि
जल्दी ही वह दिन आए
जब प्रतीकों के जलने के साथ
सभी बुराइयाँ उनकी
दहकती अग्नि में स्वाहा हो जाएँ और मेरे देश में बुराई
प्रतीक के रूप में भी
नजर न आए ।
डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली- 47