वर्षा का मौसम है।
बूँदे गिरती छम छम है।
कही अधिक कही कम है।
दिखता नही कही तम है ।
मृदा होती ऊष्ण नम है ।
वर्षा का मौसम है।
पक्षी प्यास बुझाते है।
मयूर नाचते गाते हैं ।
कोयल कूक लगाते हैं ।
सब हर्षित हो जाते हैं ।
नही किसी को गम है
वर्षा का मौसम है।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र