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14 Aug 2016 · 1 min read

वतन

छंद –विजात (भारत माता की जय पर)
मापनी–1222 1222
————————————————————
नई आशा दिशा जागी,
बुरी आदत सभी त्यागी।
नया होगा चमन मेरा,
सजेगा यह वतन मेरा। ______1

दिखाते हैं जो’ गद्दारी,
नही रखते वफादारी।
वतन प्यारा नही होता,
न नारा जय सहन होता।_______2

दिया है देश ने सब कुछ,
नही है शेष अब रह कुछ।
नियम कानून समझे तुछ,
न रखते सोच जादा कुछ।_______3

बगावत के सुर दिखाकर,
नही भारत की’ जय कहकर।
सभाओं में हैं’ चिल्लाते,
जहर का घोल फैलाते।______4
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
नीरज पुरोहित घोलतीर (रूद्रप्रयाग)उत्तराखंड

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