Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2017 · 1 min read

लड्डू जैसे गालों वाली

मतभेदों के बीच हमारे , जागा है इक भाव प्रिये !
इन आँखों में दिखता मुझको , इक प्यारा ठहराव प्रिये !!

और तुम्हारे गानों में है , कुछ ऐसा आभास प्रिये !
जैसे कृष्ण की मुरलीवाला , मथुरा सा एहसास प्रिये !!

‘ लड्डू जैसे गालों वाली ‘ ने , अधरों में भंग भरे हैं !
तिरछी मुस्कानों के पीछे , बोलो किसके रंग चढ़े हैं ??

– शशांक तिवारी

261 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी हर कविता में सिर्फ तुम्हरा ही जिक्र है,
मेरी हर कविता में सिर्फ तुम्हरा ही जिक्र है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
Manisha Manjari
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
Rajesh Kumar Arjun
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
कांतिपति का चुनाव-रथ
कांतिपति का चुनाव-रथ
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
बेदर्द ...................................
बेदर्द ...................................
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
जीत से बातचीत
जीत से बातचीत
Sandeep Pande
दिल कि आवाज
दिल कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
निदामत का एक आँसू ......
निदामत का एक आँसू ......
shabina. Naaz
दवा और दुआ में इतना फर्क है कि-
दवा और दुआ में इतना फर्क है कि-
Santosh Barmaiya #jay
"अभिलाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
भारत का संविधान
भारत का संविधान
Shekhar Chandra Mitra
*
*"हलषष्ठी मैया'*
Shashi kala vyas
हिन्दी
हिन्दी
manjula chauhan
सिर की सफेदी
सिर की सफेदी
Khajan Singh Nain
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
Kbhi kbhi lagta h ki log hmara fayda uthate hai.
Kbhi kbhi lagta h ki log hmara fayda uthate hai.
Sakshi Tripathi
तुझे भूले कैसे।
तुझे भूले कैसे।
Taj Mohammad
भले उधार सही
भले उधार सही
Satish Srijan
2319.पूर्णिका
2319.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*बना शहर को गई जलाशय, दो घंटे बरसात (गीत)*
*बना शहर को गई जलाशय, दो घंटे बरसात (गीत)*
Ravi Prakash
"चार पैरों वाला मेरा यार"
Lohit Tamta
.........?
.........?
शेखर सिंह
प्यारी बहना
प्यारी बहना
Astuti Kumari
शस्त्र संधान
शस्त्र संधान
Ravi Shukla
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
पूर्वार्थ
फ़ितरत
फ़ितरत
Kavita Chouhan
हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
Radhakishan R. Mundhra
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
Gouri tiwari
Loading...