Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2017 · 1 min read

लघुकथा

प्रदूषण
अमित- हाय, नितिन क्या तुमने सभी विषयों का गृह कार्य कर लिया?
नितिन- नहीं मित्र अभी हिंदी का गृह कार्य करना शेष है। अध्यापिका जी ने प्रदूषण विषय पर निबंध लिखने को कहा था पर समझ नहीं आ रहा कि क्या लिखूं।
अमित- अरे उसमें क्या है, कुछ भी लिख दो। हमारे चारों तरफ प्रदूषण ही प्रदूषण है।प्रदूषण ही तो प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है| किसी भी प्रकार का प्रदुषण हमारे प्राकृतिक वातावरण और इकोसिस्टम में अस्थिरता, स्वास्थ्य विकार और सामान्य जीवन में असुविधा उत्पन्न करता है| यह प्राकृतिक व्यवस्था को अव्यवस्थित कर देता है और प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ देता है|

नितिन- हां, सही कहा दादाजी जी भी बता रहे थे कि प्रदुषण के तत्त्व हम मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किया गया बाह्य पदार्थ या वेस्ट मटेरियल होता है जो की प्राकृतिक संसाधन जैसे की वायु, जल और भूमि आदि को प्रदूषित करते है| प्रदूषक का रासायनिक प्रकृति, सांद्रता और लम्बी आयु इकोसिस्टम को लगातार कई वर्षो से असंतुलित कर रहा है।
अमित- बिल्कुल सही।प्रदूषण जहरीली गैस, कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ध्वनि, कार्बनिक मिश्रण, रेडियोधर्मी पदार्थ हो सकते है| अरे वाह! हमने तो बातों बातों में निबंध तैयार कर लिया।(दोनों हंसने लगते हैं)

नितिन- धन्यवाद अमित तुम मेरे सबसे विशिष्ट मित्र हो।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
341 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
तेरे दुःख की गहराई,
तेरे दुःख की गहराई,
Buddha Prakash
-- जिंदगी तो कट जायेगी --
-- जिंदगी तो कट जायेगी --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
नूरफातिमा खातून नूरी
"फंदा"
Dr. Kishan tandon kranti
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
गिरगिट
गिरगिट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
Phool gufran
*पाऍं कैसे ब्रह्म को, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
*पाऍं कैसे ब्रह्म को, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
हर व्यक्ति की कोई ना कोई कमजोरी होती है। अगर उसका पता लगाया
Radhakishan R. Mundhra
कभी कम न हो
कभी कम न हो
Dr fauzia Naseem shad
नन्हीं सी प्यारी कोकिला
नन्हीं सी प्यारी कोकिला
जगदीश लववंशी
हमसे तुम वजनदार हो तो क्या हुआ,
हमसे तुम वजनदार हो तो क्या हुआ,
Umender kumar
मेहनत तुम्हारी व्यर्थ नहीं होगी रास्तो की
मेहनत तुम्हारी व्यर्थ नहीं होगी रास्तो की
कवि दीपक बवेजा
*भगत सिंह हूँ फैन  सदा तेरी शराफत का*
*भगत सिंह हूँ फैन सदा तेरी शराफत का*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बंदूक की गोली से,
बंदूक की गोली से,
नेताम आर सी
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
प्रकृति कि  प्रक्रिया
प्रकृति कि प्रक्रिया
Rituraj shivem verma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
23/37.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/37.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत  का नही है ज्य
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत का नही है ज्य
पूर्वार्थ
सुन्दरता।
सुन्दरता।
Anil Mishra Prahari
पश्चिम का सूरज
पश्चिम का सूरज
डॉ० रोहित कौशिक
आज की नारी
आज की नारी
Shriyansh Gupta
हवेली का दर्द
हवेली का दर्द
Atul "Krishn"
गंदे-मैले वस्त्र से, मानव करता शर्म
गंदे-मैले वस्त्र से, मानव करता शर्म
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
ruby kumari
मैं इंकलाब यहाँ पर ला दूँगा
मैं इंकलाब यहाँ पर ला दूँगा
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...