Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2017 · 2 min read

लघुकथा-”ईमान की पहचान”

             ”ईमान की पहचान”
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
रमेशबाबु खिड़की से पानी वाले से पानी लेकर पचास रूपये दिए व वापस तीस रूपय छूट्टे का इंतजार रहे थे कि अचानक सिग्नल हो गया ट्रेन चल दी।पानी वाला बाबुजी…. बाबुजी… चिल्लाता रहा, पर बाबु ये तो ट्रेन है सिग्नल के आगे शायद हीं किसी की सुनती है। वह चाहकर भी कुछ नही कर सका।ट्रेन की सबसे पीछे वाली बोगी में बना क्राॅस का चिन्ह उसे चिढ़ाते हुए पास कर गया। उदास होकर उसने अपना फोन निकाला और कुछ बातें की।

थोड़ी देर बाद उसी ट्रेन में भीड़ को चीड़ते हुए, मुँह टेढ़ा करके बोले जाने वाली एक आवाज सुनायी दी- ”खाइए लिट्टी-चोखा दस के छः, दस के छः, खाइए बिहारी खाना दस……”
उसके अजीब आवाज के कारण खचाखच भीड़ उसी के तरफ देख रही थी। तभी उस बेंडर ने लोगो से हाँथ जोड़कर कहा-”बाबुजी पिछले स्टेशन पर मेरे एक साथी बेंडर का आप मे से किसी यात्री के यहाँ बीस रूपया छूट गया है कृपा करके दे दीजिए गरीब आदमी है बेचारा” उसने दोहराया। सारे लोगों ने अपनी-अपनी मुँहें दुसरी तरफ फेर ली मानो उनके सामने कोई भिखाड़ी आ गया हो। कुछ यात्रियों ने कह दिया ना, ना, हमलोग एसे आदमी नही है बीस रूपया से कोई राजा नही हो जाएगा दुसरी बोगी में देखो।
अचानक रमेशबाबु बुदबुदाए- ”तुम्हारा बीस रूपया छूट गया तो लेने आ गये और मेरा उसी स्टेशन पर तीस रूपया छूट गया तो कोई पूछने तक नही आया।”
बेंडर मोहन तीस रूपये उनके हाँथ में देते हुए
कहा-”बाबुजी ये पैसे आपके है। मेरे साथी ने मुझे फोन करके बताया था, अगर मैं सीधे-सीधे पूछता तो सही व्यक्ति का पता लगाना इस ईमानदारी के दौर में मेरे वस का नही था।”
 यात्रियों  की आँखें फटी रह गयी और फिर से वही आवाज गूँजने लगी, ”खाइए लिट्टी-चोखा…बिहार का खाना….लिट्टी-चोखा।”
            ”सर्वाधिकार सुरक्षित”
रचनाकार:– नवीन कुमार साह
नरघोघी, समस्तीपुर बिहार।
ता-01-03-2017

Language: Hindi
444 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अव्यक्त प्रेम
अव्यक्त प्रेम
Surinder blackpen
जन्नत चाहिए तो जान लगा दे
जन्नत चाहिए तो जान लगा दे
The_dk_poetry
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
Vicky Purohit
वो मुझसे आज भी नाराज है,
वो मुझसे आज भी नाराज है,
शेखर सिंह
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
Paras Nath Jha
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
मैं रचनाकार नहीं हूं
मैं रचनाकार नहीं हूं
Manjhii Masti
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
आकाश महेशपुरी
होली मुबारक
होली मुबारक
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*जितना आसान है*
*जितना आसान है*
नेताम आर सी
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
Ram Krishan Rastogi
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
तुलसी जयंती की शुभकामनाएँ।
तुलसी जयंती की शुभकामनाएँ।
Anil Mishra Prahari
लोकतंत्र में भी बहुजनों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा / डा. मुसाफ़िर बैठा
लोकतंत्र में भी बहुजनों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा / डा. मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
Shyam Sundar Subramanian
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
Aarti sirsat
मैं तो महज संसार हूँ
मैं तो महज संसार हूँ
VINOD CHAUHAN
राष्ट्रपिता
राष्ट्रपिता
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कुछ समय पहले तक
कुछ समय पहले तक
*Author प्रणय प्रभात*
20. सादा
20. सादा
Rajeev Dutta
चैन से जी पाते नहीं,ख्वाबों को ढोते-ढोते
चैन से जी पाते नहीं,ख्वाबों को ढोते-ढोते
मनोज कर्ण
तुम हासिल ही हो जाओ
तुम हासिल ही हो जाओ
हिमांशु Kulshrestha
नाक पर दोहे
नाक पर दोहे
Subhash Singhai
राम छोड़ ना कोई हमारे..
राम छोड़ ना कोई हमारे..
Vijay kumar Pandey
Loading...