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8 Dec 2016 · 1 min read

लगता क्यूँ हर आदमी गद्दार है

करती हूँ मुहब्बत तुम्हीं से जान लो
डरती नहीं के जीत हो या हार है

ग़म नहीं जहाँ मे किसी का साथ हो
मिल जाए मुझको गर तेरा ही प्यार है

खुद से ही पूछीये के क्या बात है
हो गई तुमको मुहब्बत इक़रार है

आशिक़ तो दिल आपका ही हो गया
फिर न कहना कँवल से अपनी हार हैं

गिरहबंद-
लगता क्यूँ हर आदमी गद्दार है
आजकल हर दिल फ़क़त तकरार है

2 Likes · 1 Comment · 430 Views
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