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27 Sep 2016 · 1 min read

“राह सत्य की”

राह सत्य की जाऊ में ? जो हो सो हो..
हर पल हर दम आती हे राह जीवन में दो

एक राह हे सीधी सादी लगती सबको अच्छी
एक राह की ‘कठिन’ डगर, हे मगर वो सच्ची
‘चट मंगनी पट बियाह’ में मत अपने को खो,
राह सत्य की जाऊ में ? जो हो सो हो..

जल्दी से जो मिल जाये आनंद रहे वो थोड़ा
सम्बन्धो को पीछे छोड़ आँख बंद कर दौड़ा
पाप के इस बहते जल में मत अपने को धो,
राह सत्य की जाऊ में ? जो हो सो हो..

हरपल हरदम रहता हे बस ‘डर’ का साया
मन को विचलाती रेहती ये सभी मोह माया
“दुःख” सबका बाटकर चेन की नींद तु सो,
राह सत्य की जाऊ में ? जो हो सो हो..

सब दुखो का एक ही हल नही होता है पैसा
हर हाल में खुश रहकर बनो महात्मा जैसा
अन्याय अत्याचार से लड़ आशीष सबकी लो,
राह सत्य की जाऊ में ? जो हो सो हो..
@अंकुर…..

Language: Hindi
292 Views
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