राजयोग महागीता : घनाक्षरी छंद:( पोस्ट क्रमॉक १)
जप- जप
जप – जप कृष्ण नाम , महामंत्र – कीर्तन कर ,
अपने सद्चरित्र का निर्माण कीजिए ।
कहना ये उचित होगा , प्रभु- भक्तों से नित्य ,
नाम जप- जप, निज कल्याण कीजिए ।
दिव्य लोक की दिशा में आगे बढ़ने के हेतु ,
यों वीतराग होने का भी प्रमाण दीजिए ।
प्रभु- गुण गाइके , अहेतुकी कृपा से आप ,
लौट के मत आने हेतु प्रयाण कीजिए ।।छंद – २०!!
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