रहे हम बन्द तालों में,चले गम फिर भी आते हैं
रहे हम बन्द तालों में,चले गम फिर भी आते हैं
किरण उम्मीद की लेकिन , वो अपने साथ लाते हैं
ये जीवन एक सिक्के सा, ख़ुशी गम जिसके दो पहलू
नहीं वो डगमगाते हैं ये सच जो जान जाते हैं
डॉ अर्चना गुप्ता
रहे हम बन्द तालों में,चले गम फिर भी आते हैं
किरण उम्मीद की लेकिन , वो अपने साथ लाते हैं
ये जीवन एक सिक्के सा, ख़ुशी गम जिसके दो पहलू
नहीं वो डगमगाते हैं ये सच जो जान जाते हैं
डॉ अर्चना गुप्ता