Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2017 · 3 min read

रमेशराज के दस हाइकु गीत

1.कैसे मंजर?
——————–
जुबाँ हमारी
तरल नहीं अब
कैसे मंजर?
प्यारी बातें
सरल नहीं अब
कैसे मंजर?

अहंकार के
बोल अधर पर
नये वार के,
हमने भूले
पाठ सुलह के
सदाचार के ।
सच की बातें
सफल नहीं अब
कैसे मंजर?
+रमेशराज

2. बुरा हाल है
——————–
ये मलाल है
अब पतझर में
डाल-डाल है।

कली-कली का
इस मुकाम पर
बुरा हाल है।

आज न भौंरा
मधुरस पीकर
विहँसे-झूमे,

अब नटखट-सी
भोली तितली
फूल न चूमे।

कब आयेंगे
घन सुख लेकर
यह सवाल है।
+रमेशराज

3. भोर कहाँ है?
————————
अंधियारे में
अब हर मंजर
भोर कहाँ है?
मुँह फैलाये
चहुँदिश हैं डर
भोर कहाँ है?
मन अन्जाने
परिचय घायल
हम बेगाने,
प्यासे हैं सब
पनघट के तट
नदी मुहाने।
सम्बन्धों पर
पसरा अजगर
भोर कहाँ है?
+रमेशराज

4. विजन हुए सब
———————-
काँकर दूने
प्रेम-डगर पर
पत्थर दूने।

आज घृणा के
अधर –अधर पै
अक्षर दूने।

कैसा हँसना
बिखर रहा हर
मीठा सपना,

बोल प्रेम के,
मगर हृदय में
अन्तर दूने।

वर्तमान में
गठन-संगठन
नहीं ध्यान में,

घर को पा के
विजन हुए सब
बेघर दूने।
+रमेशराज

5. हम ओसामा
———————
लिये दुनाली
कर में हरदम
मिलें मवाली।

और हो रहीं
चैन-अमन पर
बहसें खाली।

हम ओसामा
किलक रहे हम
कर हंगामा।
मन विस्फोटी
आदत में बम
नीयत काली।

हम जेहादी
बस नफरत के
हम हैं आदी।
धर्म -प्रणाली
अपनी यह बस
तोप सम्हाली।
+रमेशराज

6. मान सखी री!
……………………………….
मान सखी री!
हम गुलाम अब
अमरीका के।
अपनी साँसें
विवश, नाम अब
अमरीका के।।

हुए हमारे
इन्द्रधनुष सम
मैले सपने,
देश बेचने
निकल पड़े अब
नेता अपने।
तलवे चाटें
सुबह-शाम सब
अमरीका के।।

महँगाई से
नित मन घायल
आँखें बादल,
टूटे घुंघरू
गुमसुम पायल
बातों में बल।
हम तो डूबे
सफल काम अब
अमरीका के।।
+रमेशराज

7. नया दौर है!
…………………..
हर कोई है
अब आहत मन
नया दौर है!
खुशियाँ लातीं
मन को सुबकन
नया दौर है!!

मन मैले हैं
हर लिबास पर
है चमकीला,
धोखा देकर
हम सब खुश हैं
युग की लीला।
भोलेपन का
दिखे न दरपन
नया दौर है!!

हर नाते को
दीमक बनकर
छल ने चाटा,
प्यार छीजता
दुःख बढ़ता नित
सुख में घाटा।
दिल की बातें
किन्तु न धड़कन
नया दौर है!!
+रमेशराज

8. चैन कहाँ है?
……………………..
हरियाली पर
पतझर पसरा
चैन कहाँ है?
सद्भावों में
अजगर पसरा
चैन कहाँ है?

भाव हमारे
बनकर उभरे
घाव हमारे,
हमें रुलाते
पल-पल जी-भर
चाव हमारे।
लिये अँधेरा
दिनकर पसरा
चैन कहाँ है?

बढ़ती जाती
देख सुमन-गति
और उदासी,
लिये आम पै
पल-पल मिलता
बौर उदासी।
इक सन्नाटा
मन पर पसरा
चैन कहाँ है!
+रमेशराज

9. किरन सुबह की
……………………….
हम रातों के
सबल तिमिर के
सर काटेंगे।
हम हैं भइया
किरन सुबह की
सुख बाँटेंगे।।

फँसी नाव को
तट पर लाकर
मानेंगे हम,
झुकें न यारो
मन के नव स्वर
ठानेंगे हम।
काँटे जिस पै
पकड़ डाल वह
अब छाँटेंगे।।

बढें अकेले
अलग-थलग हो
अबकी बारी,
कर आये हैं
महासमर तक
हम तैयारी।
हर पापी को
यह जग सुन ले
अब डाँटेंगे।।
+रमेशराज

10. दुख के किस्से
…………………….
घड़े पाप के
अब न भरें, कल-
भर जाने हैं।
जंगल सारे
यह कंटकमय
मर जाने हैं।।

नये सिर से
सम्मति-सहमति
फूल बनेगी,
कथा हमारी
प्रबल भँवर में
कूल बनेगी।
साहस वाले
कब ये मकसद
डर जाने हैं?

वीरानों तक
हम बढ़ते अब
तूफानों तक,
चले आज जो
कल हम पहुँचें
बागानों तक।
दुःख के किस्से
सुखद भोर तक
हर जाने हैं।
+रमेशराज
————————————————
रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001

Language: Hindi
1 Like · 288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपमान
अपमान
Dr Parveen Thakur
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
Anil Mishra Prahari
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – गर्भ और जन्म – 04
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – गर्भ और जन्म – 04
Kirti Aphale
मयस्सर नहीं अदब..
मयस्सर नहीं अदब..
Vijay kumar Pandey
मोहब्बत
मोहब्बत
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
" बस तुम्हें ही सोचूँ "
Pushpraj Anant
गौरवमय पल....
गौरवमय पल....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाहत में उसकी राह में यूं ही खड़े रहे।
चाहत में उसकी राह में यूं ही खड़े रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
manjula chauhan
धूल में नहाये लोग
धूल में नहाये लोग
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
Dr. Upasana Pandey
किसी अंधेरी कोठरी में बैठा वो एक ब्रम्हराक्षस जो जानता है सब
किसी अंधेरी कोठरी में बैठा वो एक ब्रम्हराक्षस जो जानता है सब
Utkarsh Dubey “Kokil”
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
सावन का महीना
सावन का महीना
विजय कुमार अग्रवाल
कहीं  पानी  ने  क़हर  ढाया......
कहीं पानी ने क़हर ढाया......
shabina. Naaz
विलीन
विलीन
sushil sarna
* काव्य रचना *
* काव्य रचना *
surenderpal vaidya
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
रिश्ते के सफर जिस व्यवहार, नियत और सीरत रखोगे मुझसे
पूर्वार्थ
■ चिंतन...
■ चिंतन...
*Author प्रणय प्रभात*
2796. *पूर्णिका*
2796. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दादा का लगाया नींबू पेड़ / Musafir Baitha
दादा का लगाया नींबू पेड़ / Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
शिव प्रताप लोधी
" ये धरती है अपनी...
VEDANTA PATEL
*तुम अगर साथ होते*
*तुम अगर साथ होते*
Shashi kala vyas
इतना भी खुद में
इतना भी खुद में
Dr fauzia Naseem shad
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
बिटिया और धरती
बिटिया और धरती
Surinder blackpen
उत्साह एक प्रेरक है
उत्साह एक प्रेरक है
Buddha Prakash
शुभ् कामना मंगलकामनाएं
शुभ् कामना मंगलकामनाएं
Mahender Singh Manu
Loading...