Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2017 · 1 min read

योग

हमारे सनातन धर्म मे मानव कल्याणकारी मानसिक शारीरिक आत्मिक स्वास्थ संमृधि हैतु रिऋि मुनि व संत योगियों द्वारा योग की खोज की गयी योग मात्र आसन और प्रानायाम ही नहीं योग अध्यात्मिक जीवन शैली है जिसका उद्देश्य आत्मा और ईश्वर का साक्षातकार है सत्य अहिन्सा आस्तेय बृम्हचर्य यम तथा शौंच संतोष स्वाध्याय अपरिहार ईश्वरप्रानाधान नियम पालन अ ति आवश्यक है सनातन धर्म और ईश्वर के प्रति आश्था योग साधना हैतु जरूरी है तभी औंकार स्थिती यानी आत्मा का परमात्मा से साक्षातकार संभव हो सकता है

Language: Hindi
Tag: लेख
294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुजरिम हैं राम
मुजरिम हैं राम
Shekhar Chandra Mitra
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
असोक विजयदसमी
असोक विजयदसमी
Mahender Singh
"ॐ नमः शिवाय"
Radhakishan R. Mundhra
जमाने में
जमाने में
manjula chauhan
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
Rj Anand Prajapati
बाहर-भीतर
बाहर-भीतर
Dhirendra Singh
I am always in search of the
I am always in search of the "why",
Manisha Manjari
* सुहाती धूप *
* सुहाती धूप *
surenderpal vaidya
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
हार कभी मिल जाए तो,
हार कभी मिल जाए तो,
Rashmi Sanjay
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
प्रेमदास वसु सुरेखा
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर
Amit Pathak
हो तेरी ज़िद
हो तेरी ज़िद
Dr fauzia Naseem shad
Sishe ke makan ko , ghar banane ham chale ,
Sishe ke makan ko , ghar banane ham chale ,
Sakshi Tripathi
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
लगाव
लगाव
Rajni kapoor
रूप जिसका आयतन है, नेत्र जिसका लोक है
रूप जिसका आयतन है, नेत्र जिसका लोक है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
किसान
किसान
Dp Gangwar
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*Author प्रणय प्रभात*
"नेमतें"
Dr. Kishan tandon kranti
खोखली बातें
खोखली बातें
Dr. Narendra Valmiki
ये एहतराम था मेरा कि उसकी महफ़िल में
ये एहतराम था मेरा कि उसकी महफ़िल में
Shweta Soni
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज फिर इन आँखों में आँसू क्यों हैं
आज फिर इन आँखों में आँसू क्यों हैं
VINOD CHAUHAN
2672.*पूर्णिका*
2672.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
पूर्वार्थ
Loading...