ये साँसे चल रही जब तक तभी तक है जहाँ मेरा
ये साँसे चल रही जब तक तभी तक है जहाँ मेरा
न मेरे बाद इस जग में रहेगा कुछ निशाँ मेरा
उड़ाने तो भरी मैंने लगाकर हौसलों के पर
मिला फिर भी नहीं मुझको कभी भी आसमाँ मेरा
बता दो बस मुझे इतना कि जाऊँ तो कहाँ जाऊँ
न पीछा छोड़ती हैं याद की परछाइयाँ मेरा
नहीं मालूम कितने दे दिए कितने अभी बाकी
लिया हर मोड़ पर है ज़िन्दगी ने इम्तहाँ मेरा
लगे रहते हैं वैसे तो जहाँ में हर तरफ मेले
नहीं पर छोड़ती हैं साथ ये तन्हाइयाँ मेरा
डॉ अर्चना गुप्ता