“यह राखी का त्योहार”
“ये राखी का त्योहार”
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जब भाई की कलाई पर,राखी बाँधती है बहन।
इस प्रीत के बदले भाई,सदा रक्षा का दे वचन।।
बहन-भाई का रिश्ता ये,सुंदर है सबसे प्यारा।
कृष्णा ने की चीर-रक्षा,जब द्रौपदी ने पुकारा।
राखी बदले उपहार हो,बहना की ये पुकार हो।
जैसे उसके प्रति स्नेह है,हरबहन से वो प्यार हो।
बजे तभी अमन का शंख,खिले यहाँ प्रेम का चमन।
इस प्रीत के बदले भाई,सदा रक्षा का दे वचन।।
जब भाई की कलाई पर,राखी बाँधती है बहन।
इस प्रीत के बदले भाई,सदा रक्षा का दे वचन।।
सबकी इज़्ज़त एक बने,कोई बहन कभी न रोय।
देखकर कष्ट में बहन को,जागे भाई तब न सोय।
एक लाज हर समाज सुनो,इसी त्योहार बन जाए।
सीख सभी लीजिए भाई,कोई किसी को न सताए।
आओ मिलके इस क़सम को,प्रीतम करते रहें नमन।
इस प्रीत के बदले भाई,सदा रक्षा का दे वचन।
जब भाई की कलाई पर,राखी बाँधती है बहन।
इस प्रीत के बदले भाई,सदा रक्षा का दे वचन।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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