Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2017 · 1 min read

ये तो है खंजर मियान थोड़ी है

कई है मुल्क मगर उनमें शान थोड़ी है
कोई भी हिन्द के जैसा महान थोड़ी है
?
हजार फूल की खुश्बू से मुअत्तर है ये
ये कोई उजड़ा हुआ गुलसितान थोड़ी है
?
वतन के वास्ते ये जान— भी लुटाते हैं
यहां जियालों की ऐसे बखान थोड़ी है
?

यहां तो प्यार का बदला मिले मुहब्बत से
ये सौदा आपसी है ये लगान थोड़ी है
?
ये मानता हूं तेरी खाहिशें हैं ऊंची पर
छुएगा आसमां इतनी उड़ान थोड़ी है
?

डरे किसी से न हो हाथ मे कलम जिसके
ये तो है खंजर खाली मियान थोड़ी है
?
बताओ प्रीतम तुमको बसाएं क्यों दिल में
ये तो है रब का मेरा मकान थोड़ी है
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ० प्र०)

199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उम्मींदें तेरी हमसे
उम्मींदें तेरी हमसे
Dr fauzia Naseem shad
#काव्यात्मक_व्यंग्य :--
#काव्यात्मक_व्यंग्य :--
*Author प्रणय प्रभात*
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं तो महज आग हूँ
मैं तो महज आग हूँ
VINOD CHAUHAN
dream of change in society
dream of change in society
Desert fellow Rakesh
सत्य = सत ( सच) यह
सत्य = सत ( सच) यह
डॉ० रोहित कौशिक
जो ना होना था
जो ना होना था
shabina. Naaz
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
SURYA PRAKASH SHARMA
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
बहुत अहमियत होती है लोगों की
बहुत अहमियत होती है लोगों की
शिव प्रताप लोधी
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
Suryakant Dwivedi
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
पूर्वार्थ
"क्रन्दन"
Dr. Kishan tandon kranti
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ਮੁੜ ਆ ਸੱਜਣਾ
ਮੁੜ ਆ ਸੱਜਣਾ
Surinder blackpen
💐प्रेम कौतुक-220💐
💐प्रेम कौतुक-220💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
2510.पूर्णिका
2510.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वक्त गुजर जायेगा
वक्त गुजर जायेगा
Sonu sugandh
वस्रों से सुशोभित करते तन को, पर चरित्र की शोभा रास ना आये।
वस्रों से सुशोभित करते तन को, पर चरित्र की शोभा रास ना आये।
Manisha Manjari
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
तुझे देखने को करता है मन
तुझे देखने को करता है मन
Rituraj shivem verma
*श्री शक्तिपीठ दुर्गा माता मंदिर, सिविल लाइंस, रामपुर*
*श्री शक्तिपीठ दुर्गा माता मंदिर, सिविल लाइंस, रामपुर*
Ravi Prakash
कभी भूल से भी तुम आ जाओ
कभी भूल से भी तुम आ जाओ
Chunnu Lal Gupta
फुलों कि  भी क्या  नसीब है साहब,
फुलों कि भी क्या नसीब है साहब,
Radha jha
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
ruby kumari
तुम शायद मेरे नहीं
तुम शायद मेरे नहीं
Rashmi Ranjan
पर दारू तुम ना छोड़े
पर दारू तुम ना छोड़े
Mukesh Srivastava
Loading...