” ये आँसू के धारे हैं ” !!
दर्द है जगा कहीं ,
आंखों में नमी नमी !
यादों के जंगल में ,
कांटों की कमीं नहीं !
कभी छुअन , बनी तड़पन –
हम आँसूं भी वारे हैं !!
दूर तक है खामोशी ,
आस है बुझी बुझी !
प्यार की पहेलियां भी ,
क्यों रही सदा उलझी !
रहे मगन , किये जतन –
ये आँसूं भी हारे हैं !!
खुशी तो है कपूर सी ,
कभी हुई है कैद भी !
जो मिली हैं मुस्कानें ,
कर गई वे भी ठगी !
कभी हार है मनुहार है –
ये आँसूं तो प्यारे हैं !!
मस्त ये धरा गगन ,
झूमता था मन मगन !
स्मृतियों के फेर में ,
यथार्थ का आलिंगन !
कभी सबब है , प्रेरणा है –
ये आँसूं तो न्यारे हैं !!
बृज व्यास