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8 Nov 2016 · 1 min read

याद तुम्हारी बहुत रुलाये/मंदीपसाई

याद तुम्हारी बहुत रुलाये/मंदीप

ये गलिया तेरी याद दिलाये,
बिता हुआ कल बहुत सताये।

इस तन्हाई के दौर में,
तुम्हारी याद बहुत रुलाये।

मानता नही दिल आजकल बात मेरी,
अब इस दिल को कैसे समजाये।

लगा ये रोग प्यार का कैसा ,
तन्हाई में दिल तेरी तस्वीर गले लगाये।

है दर्द कितना इस दिल में,
आँसू मेरे दिल का हाल बताये।

लगाओगे उठा कर हम को गले,
इसी आस में कब से पलखे बिछाये।

प्यार हम को है कितना तुम से,
हम आप को कैसे जताये।

है नही “मंदीप” कुछ भी बिन तुम्हारे,
हम ये बात आप को कैसे समजाये।

मंदीपसाई

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