मौसम गर्मी का
मौसम गर्मी का
सूरज ने जब दिखलाई हेकड़ी
तरबूज बोला फिर मुँह फुलाये
तू करेगा जितना ज्यादा तंग
भाव मेरा उतना ही बढ़ जाये !
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खीरा, ककड़ी, और खरबूजा
सब मेरा ही परिवार कहलाये
गर्मी में हमसे जो करे दोस्ती
लू और शुष्की से राहत पाये !!
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निम्बू, संतरा और मौसमी
अंगूर संग में साथ निभाये
खाना कम, पेयजल अधिक
स्वास्थ्य को निरोगी बनाये !!
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हम है नहीं कोई डाक्टर. हकीम
हमको तो दादा- दादी थे बतलाये
चरण वंदन और करू नमन उनको
स्वस्थ जीवन का थे मन्त्र सिखाये !!
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मौसम आया है गर्मी का
इसलिए तुमको रहे चेताये
रक्षा करो अपनी, अपनों की
“धर्म” की बाते अगर सुहाये !!
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डी. के. निवातिया