Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2016 · 1 min read

मोदी जी

देखो कैसे बदल रहा है भारत, लेके अपना कमाल आया है
अपनी माँ की सेवा करने, देखो धरती का लाल आया है।

देश की संसद पर जिसका सर झुकता है
मेहनत और लगन है पहचान उसकी, ना रुकता ना थकता है।

जिसने पूरी दुनिया में भारत का परचम फहराया है
हमारी खोई हुई प्रतिष्ठा को देखो वो वापस लाया है।

ना कर सके जो 60 सालों में कुछ महीनों में वो उसने कर दिखाया है
अमरीकी संसद में गूंजती तालियों ने भी जिसका जश्न मनाया है।

अभी तो शुरुआत है दोस्तों, पूरे करने सभी वादे हैं
यकीन है होंगे सब पूरे उसके नेक इरादे हैं।

देश का हर लुटेरा जिसका कडा विरोधी है
56 इंच का सीना ताने खडा वो नरेन्द्र दामोदर मोदी है।

Language: Hindi
912 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक अदद इंसान हूं
एक अदद इंसान हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2764. *पूर्णिका*
2764. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हार स्वीकार कर
हार स्वीकार कर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
"विश्वास का दायरा"
Dr. Kishan tandon kranti
रविवार की छुट्टी
रविवार की छुट्टी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कविता// घास के फूल
कविता// घास के फूल
Shiva Awasthi
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
Ravi Prakash
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
आर.एस. 'प्रीतम'
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
🩸🔅🔅बिंदी🔅🔅🩸
Dr. Vaishali Verma
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
Rj Anand Prajapati
जिस दिन कविता से लोगों के,
जिस दिन कविता से लोगों के,
जगदीश शर्मा सहज
अक्सर औरत को यह खिताब दिया जाता है
अक्सर औरत को यह खिताब दिया जाता है
Harminder Kaur
राम दर्शन
राम दर्शन
Shyam Sundar Subramanian
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
SHAMA PARVEEN
#चलते_चलते
#चलते_चलते
*Author प्रणय प्रभात*
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
अमूक दोस्त ।
अमूक दोस्त ।
SATPAL CHAUHAN
दिल का हर अरमां।
दिल का हर अरमां।
Taj Mohammad
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज़ादी के दीवाने
आज़ादी के दीवाने
करन ''केसरा''
हिम बसंत. . . .
हिम बसंत. . . .
sushil sarna
वास्तविक प्रकाशक
वास्तविक प्रकाशक
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
इतना गुरुर न किया कर
इतना गुरुर न किया कर
Keshav kishor Kumar
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
शेखर सिंह
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
तेरी इबादत करूँ, कि शिकायत करूँ
VINOD CHAUHAN
अलग अलग से बोल
अलग अलग से बोल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Kumar lalit
Loading...