मोतिए अश्अ़ पिरोये होंगे
2122 1122 22
ग़ज़ल
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दर्द पहलू में जो सोये होंगे
अश्क़ से तकिया भिगोए होंगे
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याद दुनिया की कुछ नहीं होगी
तेरे ख्यालों में जो खोये होंगे
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काटना तो है बस वही तुमको
फूल काँटें जो भी बोये होंगे
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साथ जो छूट गया अपनों का
बैठ कर तन्हा वो रोये होंगे
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क्या गिला गैरों से करते यारों
नाव अपने ही डुबोये होंगे
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फैसले जीस्त के वो सुन करके
लाश हसरत के ही ढोये होंगे
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हार यादों के बनाने खातिर
मोतिए-अश्क़ पिरोये होंगे
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मुझको देकर के जुदाई “प्रीतम”
सच कहो क्या वो न रोये होंगे
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प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
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गिन रहा तारे गगन में वह जब
लोग आराम से सोये होंगे
——-@गिरह
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