*****मैं हूँ मात्रिक छंद*** दोहा*****
**काव्य का है छंद कहलाता ,
मात्राओं पर आधारित गुण दर्शाता |
मात्रिक छंद की आभा लिए ,
दो पंक्तियों में लिखा है जाता |
**दो चरण हर पंक्ति में आते ,
चार चरण जब पूरे हो जाते |
मात्रिक छंद तब पूर्ण कहलाता ,
तभी वह दोहा कहा है जाता |
**प्रत्येक चरण के बाद विराम है आता,
अल्प विराम का चिन्ह लग जाता |सार्थक वह तभी कहलाता,
जब दूसरे और चौथे चरण में तुकांत को पाता |
**तेरह मात्राओं से पूर्ण होकर
पहला और तीसरा चरण सार्थक हो जाता |
ग्यारह मात्राओं से बंध जाने पर दूसरा और चौथा चरण बनाता |
**चौबीस मात्राएँ पूरी होने पर दोहा अर्थ पूर्ण बन जाता |
मात्रिक छंद की शोभा है वह पाता
हर वाणी पर राज रजाता |