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27 Jan 2017 · 1 min read

मैं हूँ ज़िंदा तुझे एहसास कराऊं कैसे

धङकनें मैं तेरे कानों को सुनाऊं कैसे
बंदिशें तोङ तेरे सामने आऊं कैसे

मुझको बेजान समझ दूर करे क्यों तन से
मैं हूँ ज़िंदा तुझे एहसास कराऊं कैसे

बाग़बाँ अनखिला हूँ फूल तेरे आँगन का
बिन खिले मैं तेरा गुलशन ये सजाऊं कैसे

सींच तालीम के जल से किरण हुनर की दिखा
बात इतनी सी भला तुझको सिखाऊं कैसे

जिस्म ‘मासूम’ का देखे करे क्यों शर्मिंदा
रूह छलनी तेरी आँखों को दिखाऊं कैसे

मोनिका ‘मासूम’

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