Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Apr 2017 · 2 min read

मैं जाग चुकी हूँ

” मैं जाग चुकी हूँ ”
————————-

हाँ मैं नारी हूँ !
सदियों से ही….
और सदियों तक भी !
अपनाया है मैंने !
सृजनशीलता को
ताकि सृजना बनकर
सतत् सृजन करूँ !!
किया भी है……
करती भी हूँ !
तभी कहलाती हूँ !
युग-सृष्टा ||
अपनाया है मैंनें !
ममता को
ताकि वात्सल्य की
वृष्टि करूँ !!
दे दूँ इतना हमेशा
कि सदा-सर्वदा
कर्मठता !
कर्तव्यपरायणता !
नैतिकता !
रचनाधर्मिता !
को राष्ट्र-निर्माण में
समर्पित कर सकूँ ||
अपनाया है मैंने !
सूक्ष्म दृष्टि को
ताकि देख सकूँ !
नित्य विकास !
परम्परा !
संस्कार !
संस्कृति !
और राष्ट्र की
एकता-अखण्डता को !
ताकि बनी रहूँ मैं !
युग-दृष्टा ||
अपनाया है मैंने !
सक्षमता को
ताकि कर सकूँ !
सक्षम और सुदृढ……
खुद को !
नर को !
और देश को !
न हो विचलित नर
न ही राष्ट्र खंडित !
तभी बनी हूँ मैं !
स्वयं-सिद्धा ||
अपनाई है मैंने !
निष्ठा और सहिष्णुता !
ताकि बना रहे
मेरे देश में…….
साम्प्रदायिक सोहार्द्र !
और बनूँ मैं !
राष्ट्र-निर्माण की
आधारशिला ||
अपनाया है मैंने !
संकल्प की स्वतंत्रता को
ताकि ले सकूँ !
स्वतंत्र निर्णय
राष्ट्र-निर्माण में !
और बनूँ मैं !
राष्ट्र-हित का
हेतु ||
अपनाया है मैंने !
मेहनत को !
ताकि उपजा सकूँ !
खेतों में अन्न !
साथ ही पालती हूँ
मवेशियों को !
ताकि विकसित हो
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था !
और मिटाती हूँ भूख
जन-जन के पेट की
और कहलाती हूँ !
अन्नपूर्णा ||
अपनाया है मैंने !
कुशलता को !
ताकि दिखा सकूँ
अपने कौशल को
और जड़ दूँ मैं !
रत्नों की भाँति
राष्ट्र-निर्माण के मोती
और कहलाऊँ !
मैं सदा-सदा ही
कौशल्या ||
अपनाया है मैंनें !
दक्षता को !!!
ताकि हर क्षेत्र में
लहराऊँ !
विजय-पताका को
और कहलाऊँ !
दक्षिता ||
मैं बनी हूँ ……..
लक्ष्मीबाई !
हाड़ी !
और पन्ना |
ताकि रख सकूँ !
मैं मान
मर्यादा का !
कर्तव्य का !
ईमान का !
और कहलाऊँ !
मानसी ||
अपनाया है मैनें !
तत्परता को !
ताकि हर क्षेत्र में
तत्पर रहूँ
और उपस्थित भी !
ताकि नव-निर्माण हो
सतत् और उज्ज्वल |
तभी तो कहलाती हूँ !
उज्ज्वला ||
अपनाया है मैंने !
प्रेरक शक्ति को
और बनी हूँ !
सदियों से ही…..
पुरूष की प्रेरणा !
तभी तो कहलाती हूँ !
प्रेरणा ||
पहुँच चुकी हूँ मैं !
सागर-तल और
अंतरिक्ष तक !
नहीं रूकना है अब
बीच राह में मुझे !
बस ! चलते जाना है
राष्ट्र-निर्माण की ओर
तभी तो दिल खोलकर
कहती हूँ !!!!!!!
कुछ तुच्छ मानसिकता
के तलबगारों को……
कि — नहीं बनना है !!
मुझे फिर से ?
मात्र भोग्या !
अबला !
डावरिया !
देवदासी !
और विषकन्या !!!!!!!
क्यों कि मैं जाग चुकी हूँ !
राष्ट्र-निर्माण…………
और विकास के लिए ||
———————————
— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आधा - आधा
आधा - आधा
Shaily
*नहीं पूनम में मिलता, न अमावस रात काली में (मुक्तक) *
*नहीं पूनम में मिलता, न अमावस रात काली में (मुक्तक) *
Ravi Prakash
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
****प्रेम सागर****
****प्रेम सागर****
Kavita Chouhan
खिंचता है मन क्यों
खिंचता है मन क्यों
Shalini Mishra Tiwari
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
Ritu Asooja
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इस जीवन के मधुर क्षणों का
इस जीवन के मधुर क्षणों का
Shweta Soni
" मुझमें फिर से बहार न आयेगी "
Aarti sirsat
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
अधूरेपन की बात अब मुझसे न कीजिए,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वट सावित्री
वट सावित्री
लक्ष्मी सिंह
2505.पूर्णिका
2505.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
माता के नौ रूप
माता के नौ रूप
Dr. Sunita Singh
......मंजिल का रास्ता....
......मंजिल का रास्ता....
Naushaba Suriya
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
Phool gufran
💐प्रेम कौतुक-252💐
💐प्रेम कौतुक-252💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
अरशद रसूल बदायूंनी
"सदियाँ गुजर गई"
Dr. Kishan tandon kranti
किस किस्से का जिक्र
किस किस्से का जिक्र
Bodhisatva kastooriya
रिमझिम बरसो
रिमझिम बरसो
surenderpal vaidya
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
पूर्वार्थ
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
खुल के सच को अगर कहा जाए
खुल के सच को अगर कहा जाए
Dr fauzia Naseem shad
राग दरबारी
राग दरबारी
Shekhar Chandra Mitra
बचपन में थे सवा शेर जो
बचपन में थे सवा शेर जो
VINOD CHAUHAN
सबसे मुश्किल होता है, मृदुभाषी मगर दुष्ट–स्वार्थी लोगों से न
सबसे मुश्किल होता है, मृदुभाषी मगर दुष्ट–स्वार्थी लोगों से न
Dr MusafiR BaithA
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
और कितनें पन्ने गम के लिख रखे है साँवरे
Sonu sugandh
Loading...