मैं क्या लिखूँ?
क्या लिखु जो बने कविता
भ्रष्टाचार पे करे वो वार,
जन- जन के हृदय को छू कर
कुप्रथा का करे संघार।
बाल विवाह या नारी उत्पीड़न
किस पे करूं तुषारापात,
राजनीति की बखिया उधेड़ू
या फिर करूं मैं मन की बात।
आरक्षण एक ज्वलंत समस्या
लिखूं क्या मैं इसपे आज,
गबन, घोटाला चीरहरण पे
आओ करें कुठाराघात।
एक देश है कई समस्या
किस- किस पे करूँ मैं बात,
दहेज प्रथा पे जो न लिखूं
फिर कैसे हो पूरी बात।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
9560335952