Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2017 · 1 min read

मैं कविता करूँ, तू हँसता रह…

????
मैं कविता करूँ
तू हँसता रह…..
?
मेरी कोई भी
गलती पर बेझिझक
तू टोकता रह….
?
मुद्तों से बैठकर
मुझ में मुझे
तू सुनता रह….
?
रूठ जाऊँ जो
कभी तो मुझे
तू मनाता रह….
?
थामकर हाथ मेरा
कदम – से – कदम
तू मिलाता चल….
?
तेरे शिवाय कोई
मेरा अपना नहीं
साथ देना मेरा
तू जिन्दगी भर…..
?
छोड़ कर अकेला
ना जायेगा कभी
बस मुझसे इतना
तू वादा कर…….
????—लक्ष्मी सिंह??

545 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
खूबसूरत बहुत हैं ये रंगीन दुनिया
खूबसूरत बहुत हैं ये रंगीन दुनिया
The_dk_poetry
जय जय नंदलाल की ..जय जय लड्डू गोपाल की
जय जय नंदलाल की ..जय जय लड्डू गोपाल की"
Harminder Kaur
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
सत्य कुमार प्रेमी
"Battling Inner Demons"
Manisha Manjari
मेरा प्रदेश
मेरा प्रदेश
Er. Sanjay Shrivastava
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
ऐ दिल सम्हल जा जरा
ऐ दिल सम्हल जा जरा
Anjana Savi
माफ़ कर दे कका
माफ़ कर दे कका
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
प्यासा पानी जानता,.
प्यासा पानी जानता,.
Vijay kumar Pandey
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
2718.*पूर्णिका*
2718.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐💐दोहा निवेदन💐💐
💐💐दोहा निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
★आईने में वो शख्स★
★आईने में वो शख्स★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
याद
याद
Kanchan Khanna
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
पेड़ों से बतियाता हूँ
पेड़ों से बतियाता हूँ
Satish Srijan
अटल-अवलोकन
अटल-अवलोकन
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
इबादत के लिए
इबादत के लिए
Dr fauzia Naseem shad
मन मंदिर के कोने से 💺🌸👪
मन मंदिर के कोने से 💺🌸👪
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
" नेतृत्व के लिए उम्र बड़ी नहीं, बल्कि सोच बड़ी होनी चाहिए"
नेताम आर सी
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
वचन मांग लो, मौन न ओढ़ो
वचन मांग लो, मौन न ओढ़ो
Shiva Awasthi
#आज_का_नारा
#आज_का_नारा
*Author प्रणय प्रभात*
खुर्पेची
खुर्पेची
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मन-गगन!
मन-गगन!
Priya princess panwar
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
सरहदों को तोड़कर उस पार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
" दूरियां"
Pushpraj Anant
Loading...