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25 Jan 2017 · 1 min read

मेरी बिटिया

मेरी बिटिया

घुटनों बल चलती, ठुमकती – थिरकती,
कभी आँचल में छिपती, कभी कान्धे पर चढ़ती !
वो नन्ही परी पंख फैलाने लगी है….
मेरी गुड़िया मेरे कान्धे तक आने लगी है !!

छवि है वो मेरी, वो मेरा है दर्पण
जी रही हूँ उस संग, फिर से अपना बचपन !
कर साकार सपने, खुशियों से बगिया महकाने लगी है
मेरी गुड़िया मेरे सपने अपनाने लगी है !!

दुनियादारी के बारे में जिसको बताया,
जीवन की राहों पे चलना सिखाया !
अब मुझको खुद वह, समझाने लगी है
मुझे गुड़िया में माँ की छवि नज़र आने लगी है !!

अंजु गुप्ता

3 Likes · 2 Comments · 361 Views
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